नई दिल्ली,अगले 50 सालों में भारत की कुल 780 भाषाओं में से करीब 400 भाषाएं विलुप्त हो सकती हैं। भाषाविद् गणेश एन। देवी का मानना है कि प्रमुख भारतीय भाषाओं मसलन हिंदी, बांग्ला, मराठी और तेलगु को अंग्रेजी से असल में कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया की 4,000 भाषाओं के अगले 50 वर्षों में विलुप्त होने का खतरा है और उनमें से 10 प्रतिशत भाषाएं भारत में बोली जाती हैं।
देवी ने दावा किया गया है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा भाषाई सर्वेक्षण है।
विलुप्ति की कगार पर होने वाली 10 फीसदी भाषाएं भारत में बोली जाती हैं। भारत में कुल 780 भाषाओं हैं। उन्होंने कहा कि यह धारणा गलत है कि अंग्रेजी हिंदी, बांग्ला, तेलगु, मराठी, कन्नड़, मलयालम, गुजराती और पंजाबी जैसी अहम भाषाओं को तबाह कर सकती है। यह भाषाएं दुनिया की पहली 30 भाषाओं में शामिल हैं। ये 30 भाषाएं वे हैं जो कम से कम एक हजार वर्ष पुरानी हैं और करीब दो करोड़ लोग इन्हें बोलते हैं। इन भाषाओं को फिल्म उद्योग, अच्छी संगीत परंपरा, शिक्षा की उपलब्धता और फलते-फूलते मीडिया का समर्थन हासिल है।