नई दिल्ली,गुजरात राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को देश की शीर्ष अदालत से भी झटका लगा है। गुजरात की तीन सीटों पर आठ अगस्त को होने वाले चुनावों में नोटा प्रयोग पर स्टे लगाने की कांग्रेस की अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। इसका मतलब यह है कि राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान नोटा के विकल्प के साथ ही होगी। इससे पहले, कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दलील दी थी कि अगर नोटा पर स्टे नहीं दिया गया तो विधायकों के मत दूसरे पक्ष के लोग खरीद लेंगे और उसके उम्मीदवार चुनाव हार जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल से जुड़ा नोटिफिकेशन काफी पहले 2014 में जारी किया था, ऐसे में कांग्रेस को इसकी खामियां इसी समय क्यों नजर आ रही हैं? सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, यह एक संवैधानिक मुद्दा है, जिसपर बहस की जरूरत है। कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह कांग्रेस की याचिका पर दो सप्ताह में जवाब दे।
बता दें कि भाजपा भले ही नोटा का इस्तेमाल नहीं किए जाने के पक्ष में है, लेकिन एनडीए सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रणनीतिक चुप्पी साध रखी है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि गुजरात चुनाव में नोटा के इस्तेमाल को लेकर चुनाव आयोग की ओर से 24 जुलाई को जारी नोटिफिकेशन से सरकार का कोई संबंध नहीं है।
गुजरात की सीटों के लिए होने जा रहे राज्यसभा चुनाव में नोटा के विकल्प का इस्तेमाल होगा। भाजपा ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी और बलवंत सिंह राजपूत को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की तरफ से एकमात्र उम्मीदवार अहमद पटेल हैं। कांग्रेस ने नोटा के इस्तेमाल पर ऐतराज जताया है। कांग्रेस ने कहा है कि चुनाव आयोग बिना संवैधानिक संशोधन के राज्यसभा चुनाव में नोटा के विकल्प का इस्तेमाल नहीं कर सकता। कांग्रेस ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 84 का उल्लंघन है। चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर हुए राजनीतिक विवाद पर करारा जवाब दिया। आयोग ने बुधवार को कहा कि राज्यसभा चुनाव में बैलट पेपर में नोटा के इस्तेमाल करने की पहली घटना नहीं है। आयोग ने आंकड़ों के साथ कहा कि 2014 से लेकर अब तक राज्यसभा के चुनाव 25 बार हुए जिनमें 95 सीटों पर मतदान हुआ। इन सभी सीटों पर नोटा का इस्तेमाल किया गया था।