मुंबई, हमारा देश दुनिया के बड़े दवा बाजारों में एक है। इसे देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार दवा निर्माता कंपनियों के लिए पहली दफा ऐसा कानून बना रही है, जिसके तहत उन्हें डॉक्टरों एवं दवा दुकानदारों को 1,000 रुपये से ज्यादा का उपहार देने पर पाबंदी लग जाएगी। दुनिया के अन्य देशों में ऐसे नियम आम हैं, लेकिन भारत में अब तक ऐसे कानून लागू नहीं किए जा सके हैं। यही वजह है कि समय-समय पर दवा बिक्री के लिए अपनाई जाने वाली अनैतिक तिकड़मों पर रोक लगाए जाने की मांग उठती रहती है।
दवा निर्माता कंपनियां डॉक्टरों एवं दवा विक्रेताओं को अपनी दवा लिखने-बेचने के लिए महंगी वस्तुएं भेंट करने से लेकर विदेश भ्रमण तक के खर्चे उठाती हैं। दवा कंपनियों के नियमन के लिए मौजूदा कानून दवा बिक्री के लिए अपनाई जाने वाली तिकड़मों पर प्रभावी अंकुश लगाने में नाकाम रही हैं। मशहूर सर्जन समीरन नंदी के अनुसार देश के डॉक्टरों में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी बड़े पैमाने पर व्याप्त है। हमने इसके कई तरीके देखे हैं। डॉक्टरों को उपहार देने से लेकर थाइलैंड जैसे देशों में आयोजित सम्मेलनों में भाग लेने का खर्च उठाने तक, तमाम तरह के प्रलोभन दिए जाते हैं। उन्होंने कहा यह अच्छी बात है कि दवा क्षेत्र के नियमन के लिए कानून बनाए जा रहे हैं। भारत में कई कानून हैं, जिन्हें उचित रूप में लागू नहीं किया गया है। उम्मीद है कि इन्हें अच्छे से लागू किया जाएगा।
डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स की ओर से तैयार मसौदे की कानून मंत्रालय समीक्षा कर रहा है। इस प्रस्तावित मसौदे में विपणन पर खर्च की सीमा तय करने के अलावा दवाओं को लेकर कंपनियों के झूठो दावों पर भी नजर रखी जाएगी। नियमों में डॉक्टरों को दिए जानेवाले ट्रायल सैंपल्स की संख्या भी निर्धारित की गई है। डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स के एक अधिकारी ने मसौदे में शामिल बातों पर विस्तार से बातचीत करने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने बताया कि नियमों की समीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि नया नियम लागू करने की कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।