मण्डला,इस बार नगरपालिका परिषद के चुनाव प्रचार में स्थानीय मुद्दों का तोता है । आम जनता के दरबार में प्रत्याशी लगातार हाजिरी लगा रहे हैं। घर घर जाकर वोट अपील की जा रही है लेकिन, शहर के प्रमुख मुद्दे तो कहीं दूर दूर तक देखने को नहीं मिल रहे हैं। शहर की समस्याओं और विकास को लेकर बातें नहीं हो रही है, प्रत्याशी मतदाता के पास पहुंच तो रहा है पर वह किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रहा है या बात मतदाता के गले नहीं उतर रही इसकी शहर के विकास के लिये किसी ने अपना दृष्टिकोण जनता के सामने नहीं रखा है। शहर में पेयजल की समस्या हो, यातायात की समस्या हो, झुग्गी झोपड़ियों की समस्या हो, गंदे नालों की समस्या हो, नर्मदा शुद्धिकरण का मसला हो, स्थायी पार्किंग की समस्या हो, मॉडल रोड की समस्या हो, जल भराव की समस्या हो, गंदगी की समस्या हो, पानी निकासी की समस्या हो, सब्जी बाजार की समस्या हो, खेलमैदान की समस्या हो और भी इसके अलावा कई समस्याएं हें, कोई भी प्रत्याशी इन्हें लेकर मतदाताओं से बात करता नहीं दिखाई दिया है। क्या यह समझा जा सकता है कि प्रत्याशी शहर के लिये नहीं बल्कि अपने खुद के लिये और अपनी पार्टी के लिये चुनाव लड़ रहा है। शहर के विकास को लेकर यदि इस चुनावी दौर में बात नहीं की जायेगी तो कब की जायेगी क्या बिना सवालों के ही प्रत्याशियों को चुन लिया जायेगा। अब तक किसी भी राजनैतिक दल ने अपना घोषणा पत्र जारी नहीं किया है। शायद शहर के विकास के लिये राजनैतिक दलों को कुछ यादा ही सोचना पड़ रहा है या फिर घोषणा पत्र जारी करके मतदाताओं को सोचने का अवसर नहीं देना चाहते या फिर बिना घोषणा पत्र के ही चुनाव लड़ना यादा बेहतर समझा जा रहा है। मतदान अपील के पम्पलेट शहर के मतदाताआंs के पास पहुंच रहे हैं पर घोषणा पत्र के रूप में शहर के विकास का जो विजन है वह अब तक के चुनाव में से नदारत है। क्यों कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता या फिर जिम्मेदारी को राजनैतिक बाध्यता मानकर जनता के सामने कुछ भी स्पष्ट नहीं करना चाहता। अभी के चुनावी हालात से तो यही लग रहा है कि सब कुछ हवा में तैरते हुये इस वार्ड से उस वार्ड पहुंच रहा है और मुद्दों पर आधारित चुनाव कहीं गुम सा हो गया है। शहर की जनता ये कैसे तय करेगी कि किसका चुनाव करना है जब तक उनके सामने कोई भी प्रत्याशी नगर विकास की अपनी प्राथमिकताएं लेकर नहीं जायेगा।
अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों का जनसंपर्क जारी
नपा अध्यक्ष पद के लिये त्रिकोणीय मुकाबला चल रहा है। भाजपा प्रत्याशी निधि झा, कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा शुक्ला व निर्दलीय प्रत्याशी अर्चना जैन वार्ड वार्ड घूमकर जोर शोर से प्रचार कर रहीं हैं। भाजपा प्रत्याशी के साथ भाजपा के कार्यकर्ता, कांग्रेस प्रत्याशी के साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता एवं निर्दलीय प्रत्याशी के साथ उनके अपने समर्थक उपस्थित रहते हैं। इस चुनाव प्रसार में भाजपा भी मतदान अपील कर रही है और कांग्रेस भी मतदान अपील ही कर रही है। वहीं अर्चना जैन शहर विकास के मुद्दों को लेकर बात करती नजर आती हैं तो इसके साथ वे अपने साथ हुये घटनाक्रम को भी बताना नहीं भूलती। सहानुभूति के साथ विकास का दृष्टिकोण उनके चुनाव प्रचार में देखने को मिल रहा है। आम जनता का समर्थन भी इस दृष्टिकोण के अनुरूप बनता चला जा रहा है। मतदाताओं से केवल वोट अपील नहीं बल्कि उनकी समस्याएं भी पूछी जाती हैं एक निर्दलीय प्रत्याशी इस ढंग से चुनाव प्रचार करे तो जाहिर है प्रमुख राजनैतिक दलों की परेशानियां बढ़ जाती है। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में श्रीमती जैन एक बड़ी हिम्मत के साथ चुनाव लड़ रही हैं। जैसे जैसे समय बीत रहा है शहर की जनता शहर की समस्याओं और शहर के विकास के लिये मतदान की ओर अग्रसर होते हुये दिखायी दे रही है। पहले क्या हुआ क्या नहीं पर अब क्या होगा इस अपेक्षा को लेकर मतदाता बैठा हुआ है। कौन मतदाताओं की अपेक्षा पर खरा उतरेगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा पर चुनाव त्रिकोणीय है और धीरे धीरे व्यापक स्वरूप में बदल रहा है।