नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट ने देश के सबसे अमीर और दुनिया के दूसरे अमीर तिरुपति मंदिर में जमा हुए 500-1000 के पुराने नोटों को जमा कराने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। इस मामले में दलील यह दी गई थी कि लोगों ने भगवान से अपनी मन्नत मांगने के तहत यह दान किया था अगर यह रुपये जमा नहीं हुए तो लोगों की मनोकामना पूरी नहीं होंगी। इस प्रकार दान के करीब 8.29 करोड़ रुपये बेकार हो गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि इस मामले में ऐसा ग्राउंड नहीं है जिसके चलते मामले में दखल दिया जाए इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है।
दरअसल आंध्र प्रदेश के एक व्यक्ति ने पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में तिरुपति मंदिर के 8 करोड़ 29 लाख रुपये के बंद हो चुके नोटों को बदलने की याचिका दायर की थी। इसमें उसने केंद्र सरकार और आरबीआई को इस संदर्भ में निर्देश देने की मांग की। श्री तिरुमाला तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर में 8 नवंबर 2016 को बंद कर दिए गए नोट श्रद्धालुओं द्वारा जमा कराए गए हैं। तिरुपति मंदिर दुनिया का दूसरा सबसे धनी मंदिर है। उसकी संपत्ति 50,000 करोड़ है और सालाना आय करीब 650 करोड़ रुपये है। तिरुपति बोर्ड नई दिल्ली, ऋषिकेश, गुवाहाटी, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद और कन्याकुमारी समेत कई शहरों और कस्बों में मंदिरों का संचालन करता है।
पेशे से पत्रकार वीवी रमनमूर्ति ने अपनी याचिका में कहा था कि मंदिर को दान की गई राशि को स्वीकार नहीं करना न केवल भेदभावपूर्ण है बल्कि इसका यह भी अर्थ है कि उनकी मनोकामनाएं अधूरी रहेंगी। साथ ही मंदिर की ओर से लोगों की भलाई के लिए जो काम किया जाता है, वह भी प्रभावित होगा।