अहमदाबाद,केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में डॉक्टरों का अभाव है.स्वास्थ्य सुविधा एवं चिकित्सकों की कमी को लेकर गुजरात का नाम देश के बिमार राज्यों की सूची में होने पर विकसीत गुजरात मोडेल के सामने सवाल उठ रहे है.
केन्द्र सरकार द्वारा जारी गुजरात के कम्युनिटी हेल्थ सेन्टर्स (सीएचसी) में स्पेशियालिस्ट डॉक्टरों की संख्या 1288 होनी चाहिए, जिसके सामने 1140 है. यानि की समग्र गुजरात में सिर्फ 148 चिकित्सक ही स्पेशियालिस्ट डॉक्टर्स सरकारी डिस्पेन्सरीज में कार्य है. प्राइमरी हेल्थ सेन्टर (पीएससी) में भी 1314 डॉक्टर्स के गोल्डन आंकडों के सामने सिर्फ 1105 डॉक्टर्स कार्यरत है. इसी कारणों के चलते गुजरात के बाढग्रस्त इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने में मुश्केलियां हो रही है. गुजरात के बनासकांठा, साबरकांठा, अहमदाबाद, गांधीनगर, मोरबी, राजकोट आदि जिलों में भारी बारिश के बाद संक्रामक बिमारियां फैलना खतरा मंडरा रहा है| राज्य के ग्रामीण इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवा दे रहे सामाजिक कार्यकर्तांओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को लेकर आवाज उठाई है. स्वैच्छिक संस्था से जुड़ी एक महिला ने कहा कि आज ग्राम्य क्षेत्रों में कार्य करने के लिए सरकार की ओर से विशेष लाभ मिलने के बावजूद डॉक्टर्स शहरी क्षेत्रों में प्राइवेट प्रेक्टिस करने को इच्छुक रहते हैं. राज्य के डांग और कच्छ जिलों के दूरदराज गांवों में सीएचसी और पीएचसी डॉक्टरों की कमी देखनो के मिलती है. केन्द्र सरकार द्वारा जारी आंकडों के मुताबिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में गुजरात की गिनती देश के अन्य बीमार राज्य उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान में हो रही है. गुजरात की गणना देश के विकसित राज्यों में अव्लल होने के दावे के किए जा रहे है. ऐसे में केन्द्र सरकार के आंकडों से गुजरात विकास मोडल के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है.