बड़वानी/इंदौर,सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावित इलाके में गांधी स्मारक को प्रशासन ने जेसीबी मशीन से खोदा गया। वहां से गांधीजी, कस्तूरबा गांधी और उनके शिष्य महादेव भाई देसाई के अस्थि कलश निकालकर ले गए। सूचना के बाद नर्मदा बचाव आंदोलन ने धरना प्रदर्शन कर विरोध जताया।
जानकारी के अनुसार, पुलिस और प्रशासन के अमले ने गुरुवार सुबह करीब 3:00 बजे जेसीबी और डंपर ले जाकर बड़वानी से पांच किमी आगे राजघाट पर पहुंचा और खुदाई शुरू कर दी। यहां गांधीजी, कस्तूरबा और महादेव भाई के अस्थि कलश रखे थे।
सूचना के बाद आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर सहित सैकड़ों ग्रामीणों ने राजघाट पर धरना और प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उनका आरोप है कि प्रशासन ने गांधी जी के अस्थि कलशों का अपमान किया है। पाटकर ने कहा कि जब उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों से राजघाट की खुदाई का लिखित आदेश मांगा तो उन्होंने इनकार कर दिया। राजघाट पर खुदाई के पहले पंचायत या ग्राम सभा को भी कोई सूचना नहीं दी गई थी।
लोगों के विरोध को देखकर एक बार प्रशासन का अमला राजघाट से वापस चला गया। लेकिन, थोड़ी देर बाद प्रशासन का दल भारी पुलिस बल के साथ पहुंचा तीनों अस्थि कलश निकाल कर ले गया।गौरतलब है यहाँ बापू की यहाँ समाधी 1965 में बनी थी,जब गांधीबादी काशीनाथ त्रिवेदी बापू,कस्तूरबा और महादेव भाई देसाई की अस्थियां लेकर बड़वानी आये थे। जिसके बाद 12 फरबरी 1965 को दिल्ली के राजघाट के बाद बड़वानी में दूसरा राजघाट बनाया गया।
इस पूरे नाटकीय घटना क्रम पर नबाओ नेत्री मेधा पाटकर का कहना है की जो घटनाकर्म चला वह समाधि को यहां रखने के बाद लोगों ने पूजा की और हम उपवास करने के लिए आए थे. आधा घंटे के लिए बाहर गए थे कुछ लोग तो इन्होंने भारी पुलिस बल बुलाकर यहां पर और और पुलिस वह महिलाओं को लकड़ी से दबा रहे थे गले को दबा कर रहे थे जब मैं पहुंची लाठीचार्ज किया हमारे दो कार्यकर्ताओं को खून निकला जाते-जाते राजघाट के गरीब दुकानदारों का नुकसान करते गए एक गांधी को ले उठाकर ले जाने के लिए गुजरात के अधिकारियों की गाड़ी आई जिससे लोगों ने रोकने की कोशिश की तो कहा मेरा यहां कुछ काम नहीं है।
समाधि स्थल पर जिला प्रशासन की कार्यवाही से भारी रोष है। विरोध स्वरूप समाधि स्थल पर कांग्रेस नेताओं और नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े लोग एकजुट हो रहे हैं.