भोपाल,प्रदेश सरकार भले ही गांवों में डॉक्टरों को पदस्थ करने के कितने ही प्रयास कर ले लेकिन उसे इसमें कामायाबी नहीं मिल पा रही है। सरकार ने डॉक्टरों की पदस्थापना तो कर दी लेकिन वे अब ज्वाइनिंग नहीं ले रहे हैं। लोक सेवा आयोग से चयनित 726 डॉक्टरों में सिर्फ 556 ही पदस्थापना के लिए काउंसलिग में शामिल हुए। इनके पदस्थापना आदेश भी जारी कर दिए गए हैं, बावजूद इसके कई डॉक्टर ज्वाइनिंग को तैयार नहीं हैं। इनमें से कुछ तो पीजी की तैयारी करने जा रहे हैं तो कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में जाना ही नहीं चाहते। जिसके चलते आगे भी दूर-दराज के क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी बनी रहेगी। मालूम हो कि डाक्टरों के 1871 पदों की भर्ती में सिर्फ 726 डॉक्टर ही चयनित हुए। जिनमें से 556 ही काउंसलिंग में शामिल हुए। इनमें से ज्यादातर डॉक्टरों की पोस्टिंग जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र व सिविल अस्पताल में की गई है।
कुछ डॉक्टरों ने ट्राइबल ब्लाक की पीएचसी का विकल्प भी काउंसलिंग दौरान दिया था। इसके पीछे डॉक्टरों की मंशा यह है कि उन्हें पीजी में ट्राइबल ब्लाक के अतिरिक्त बोनस अंक मिल सकेंगे। पिछले साल तक सरकार की प्राथमिकता प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) में डॉक्टर पहुंचाना था। वजह, इनमें से करीब 600 यानी करीब एक तिहाई अस्पताल बिना डॉक्टर के हैं। सरकार का पिछले सालों का अनुभव रहा कि ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में डॉक्टरों की पोस्टिंग के बाद वे बीच में ही नौकरी छोड़कर चले जाते हैं, क्योंकि ये अस्पताल जिला मुख्यालयों से दूर हैं। इस साल बतौर पीजी बांडेड डॉक्टर नौकरी कर रहे चिकित्सक ने बताया कि उनका पीएससी से चयन हुआ है, लेकिन वे काउंसलिंग में शामिल नहीं हुए। बतौर बांडेड डॉक्टर उन्हें अच्छी जगह पोस्टिंग मिली है। अगले साल फिर पीएससी में बैठेंगे। अच्छी जगह पदस्थापना हुई तो ज्वाइन कर लेंगे।