बिलासपुर, छत्तीसगढ़ में प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध के बावजूद उसका क्रय-विक्रय और पकड़े जाने पर पेनाल्टी वसूल कर दोषियों को छोड़ देने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रूख दिखाते हुए नगरिय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव को जवाब के लिए कोर्ट में उपस्थित होने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रतिबंध के बावजूद प्लास्टिक बैग सब जगह दिखाई दे रहे हैं। ये आने वाली पीढिय़ों के लिए खतरा बढ़ा रहे हैं।
एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आर पी शर्मा की युगलपीठ ने ये आदेश दिए। यह याचिका शंकर नगर रायपुर के नितिन सिंघवी ने दायर की है। इससे कहा गया है कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम १९८६ के तहत पूरे राज्य में प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिसका पालन नहीं हो रहा है। इस अधिनियम में प्रावधान है कि नियमों का उल्लंघन करने पर दोषियों के खिलाफ कोर्ट में मामला पेश किया जाएगा लेकिन निकायों के अधिकारी खुद पेनाल्टी लगाकर दोषियों को छोड़ दे रहे हैं। कोर्ट ने इसे गंभीर माना और यह कहते हुए कि ये प्लास्टिक कैरी बैग आने वाली पीढिय़ों के लिए खतरा बढ़ा रहे हैं, नगरीय प्रशासन विकास विभाग के सचिव को जवाब के लिए १० अगस्त को खुद हाजिर होने का आदेश दिया।
जनहित याचिका में इस बात का भी हवाला दिया गया है कि एक सदस्य सचिव ने पदोवरण संरक्षक मंडल को नवम्बर २०१६ में प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर प्रतिबंध के आदेश का पालन न होने और दोषियों को पेनाल्टी वसूल कर छोड़ देने की लिखित शिकायत की थी, जिस पर मंडल ने ७ दिसम्बर २०१६ को नगरिय प्रशासन एवं विकास विभाग के संचालक को पत्र लिखकर प्लास्टिक कैरी बैग का क्रय-विक्रय करते पकड़े जाने पर दोषियों के खिलाफ न्यायालय में मामला पेश करने का निर्देश सभी नगरी निकायों को दिया था, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया और दोषियों से पेनाल्टी की वसूली जारी रखी। दुकानदारों से हजार से लेकर लाख रूपए तककी पेनाल्टी वसूल जाती रही जबकि इस तरह की पेनाल्टी वसूल करने का निकायों को कोई अधिकार नहीं है। याचिका में विभागीय सचिव के अलावा सदस्य सचिव पर्यावरण संरक्षण मंडल सभी जिलों के कलेक्टर और क्षेत्रीय पर्यावरण अधिकारियों को पक्षकार बनाया गया है।
प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध का पालन नहीं करने पर नगरीय प्रशासन सचिव हाईकोर्ट तलब
