भोपाल,मप्र विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विपक्ष द्वारा लाए गए लोकमहत्व के विषय पर हो रही चर्चा में हिस्सा लेते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि मंदसौर में किसान आंदोलन, तोड़फोड़, आगजनी आदि अप्रिय घटनाएं एक षडयंत्र के तहत हुईं। इसके पीछे दरअसल अफीम और डोडा चूरा माफिया का हाथ रहा है। ऐसे तमाम लोग किसान नहीं बल्कि आसामाजिक तत्व थे, जिन्होंने आंदोलन को हिंसात्मक बनाया और पुलिस कर्मियों पर हमले कर घायल कर दिया। मंत्री भार्गव ने अपनी बात रखते हुए कहा कि पुलिस लंबे समय से अफीम माफिया पर लगाम कसे हुए थी अत: मंदसौर का गोलीकांड उसी की परिणती है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जो लोग सड़कों और नालियों में दूध बहा रहे थे और सब्जी-भाजी फेंक रहे थे वो किसान नहीं हो सकते। किसान होते तो वो दूध और सब्जी-भाजी को फेंकने की बजाय मुफलिसों में बांट देते, यूं उसे बर्बाद नहीं करते। यह काम तो आपराधिक चरित्र वालों का है। इसी बीच विपक्षी सदस्य ने टोंकते हुए कहा कि जो बात मंत्री कह रहे हैं क्या वो सब जांच में आ गया है? या यह सब जांच में आने वाला है जो कि मंत्री जी को पहले से मालूम है। इस शोर के बीच ही मंत्री भागर्व ने कहा कि अगर यह सच नहीं है तो फिर क्या कारण है कि किसान आंदोलन महज मंदसौर में ही होता है जबकि भिंड, ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में नहीं होता। इस प्रकार पूरे जोश के साथ अपनी बात को रख रहे मंत्री भार्गव ने किसान आंदोलन को आपराधिक साजिश का हिस्सा करार दिया और उसे भड़ाने में राजनीतिक दखल की बात भी उन्होंने इशारों में कर दी। उन्होंने कहा कि मौत पर राजनीति करना बंद होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने पूर्व कांग्रेस सरकार के काल में हुए मुल्ताई गोली कांड का भी जिक्र किया। यहां उन्होंने रामबाबू गड़रिया मामले को भी उठाया जिसमें दावा किया गया था कि वो मारा गया जबकि जांच में उजागर हुआ था कि दरअसल जो मारे गए थे वो गरीब किसान और मजदूर थे। इस प्रकार मंत्री भार्गव ने सरकार को बचाने और विपक्ष को खमोश करने के लिए पूर्व के उदाहरणों को भी प्रभावी ढंग से उठाया।