नयी दिल्ली,एक तरफ तो प्रधानमंत्री ने हिंसक गौरक्षकों को चेतावनी दी है वहीं केंद्र सरकार ने गोमूत्र सहित गाय से जुड़े पदार्थों और उनके लाभ पर वैज्ञानिक रूप से कानूनी तौर पर शोध करने के लिए 19 सदस्यीय समिति बनाई है, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) और विश्व हिन्दू परिषद(विहिप) के तीन सदस्यों को शामिल किया गया है।
एक अंतरविभागीय सर्कुलर के अनुसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन की अध्यक्षता वाली समिति ऐसी परियोजनाओं को चुनेगी जो पोषण, स्वास्थ्य और कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में पंचगव्य यानी गाय का गोबर, मूत्र, दूध, दही और घी के लाभों को वैज्ञानिक रूप से विधिमान्य बताने में मदद करे। राष्ट्रीय संचालन समिति नाम की समिति में नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय, बायोटेक्नॉलजी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभागों के सचिव और दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक शामिल हैं। इसमें आरएसएस और विहिप से जुड़े संगठनों विज्ञान भारती और ‘गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र’ के तीन सदस्य भी शामिल हैं।
सरकार के सर्कुलर में कहा गया है कि हल्दी और बासमती चावल पर अमेरिका के पेटेंट के खिलाफ अभियान चलाने के लिए प्रसिद्ध पूर्व सीएसआईआर निदेशक आर. ए. माशेलकर भी इस समिति के सदस्य हैं। समिति में आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रफेसर वी रामगोपाल राव और आईआईटी के ग्रामीण विकास एवं प्रौद्योगिकी केंद्र के प्रफेसर वीके विजय भी शामिल हैं।
सरकार ने कहा है कि यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसे आईआईटी दिल्ली के सहयोग से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, बायोटेक्नॉलजी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा पूरा किया जा रहा है। सर्कुलर में कहा गया कि इस समिति का कार्यकाल तीन वर्ष होगा। आरएसएस से जुडे संगठन विज्ञान भारती के अध्यक्ष विजय भटकर समिति के सहअध्यक्ष हैं। सुपरकम्प्यूटर की परम सीरीज के वास्तुविद माने जाने वाले भटकर बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं। भटकर ने कहा कि उन्हें स्वदेशी गाय और पंचगव्य पर वैज्ञानिक रूप से विधिमान्य अनुसंधान की परियोजनाएं चुनने का काम दिया गया है।