नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में सेना और पुलिस द्वारा १५२८ फर्जी एनकाउंटर के आरोप के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनकाउंटर के ६२ मामलों की जांच सीबीआईकरेगी। सीबीआई डायरेक्टर को जांच टीम बनाने के आदेश दिए हैं। इनमें सेना के करीब २८ एनकाउंटर हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई डायरेक्टर दो हफ्तों में बताएं कि आदेश का पालन कर टीम बनाई या नहीं। इस मामले मामले की अगली सुनवाई २८ जनवरी को होगी। दरअसल इस मामले में कोर्ट को ये तय करना था कि एनकाउंटर की जांच एसआईटी या एनएचआरसी से कराई जाए।
दरअसल पिछले साल बड़ा फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी एनकाउंटर की जांच के आदेश दिए थे। कहा था कि वो तय करेगा कि ये जांच कौन करेगा। मणिपुर में सेना द्वारा फर्जी एनकाउंटर मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि थ्दण् पर कौन फायर करेगा, ये कोर्ट फैसला नहीं कर सकता। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को संसद के दिए अधिकारों से ज्यादा अधिकार देना एक तरह से न्यायिक कानून बनाना होगा। तब केंद्र की ओर से एजी मुकुल रोहतगी ने उस मुद्दे पर दलील देते हुए कहा था कि मणिपुर एनकाउंटर की जांच Nप्Rण् से नहीं कराई जा सकती और ना ही उसकी सिफारिशों को मानने के लिए बाध्य किया जा सकता है। वहीं एनएचआरसी की ओर से कहा गया कि वो एनकाउंटर की जांच करने को तैयार है भले ही इसके पास लोगों की कमी है। यह भी कहा कि उसकी सिफारिशें सरकार पर बाध्यकारी हैं। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा था कि अगर एफएसपीए लगा है और इलाका भी डिस्टर्ब एरिया के तहत क्लासीफाइड भी है तो भी सेना या पुलिस ज्यादा फोर्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्रिमिनल कोर्ट को एनकाउंटर मामलों के ट्रायल का अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सेना और पुलिस के ज्यादा फोर्स और एनकाउंटरों की स्वततंत्र जांच होनी चाहिए। कौन सी एजेंसी ये जांच करेगी, ये कोर्ट बाद में तय करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मणिपुर के १५२८ एनकाउंटरों की जांच होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अमाइक्स क्यूरी से उन सब ६२ मामलों की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी जिन्हें जस्टिस संतोष हेगड़े ने फर्जी बताया। कोर्ट ने कहा कि सेना हर केस में कोर्ट आफ इंक्वायरी करने को स्वतंत्र है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एनकाउंटर मामलों की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई थी। सेना पर २००० से २०१२ के बीच करीब १५०० लोगों के फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप है।