इन्दौर,मंदसौर जिले में हुयी घटना की जांच के लिये आयोग गठित कर जांच के बिन्दु तय कर लिये हैं। जांच आयोग ने इस संबंध में आम नागरिकों, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से साक्ष्य लिखित रूप से मांगा है, जिससे प्रकरण में तह तक पहुंचा जा सके। और स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से जांच हो सके। मध्यप्रदेश राज्य शासन की अधिसूचना द्वारा जिला मंदसौर में 6 जून, 2017 को आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा में आंदोलनकारियों पर बल प्रयोग किये जाने से 5 व्यक्तियों की मृत्यु की घटना से संबंधित घटना की जांच हेतु राज्य सरकार ने जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3 के द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की जे.के.जैन की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय जांच आयोग गठित किया गया है। जांच आयोग द्वारा सार्वजनिक महत्व के निम्नलिखित बिन्दुओं पर जांच की जायेगी:-
उपरोक्त घटनाएं किन परिस्थितियों में घटीं ? क्या पुलिस द्वारा जो बल प्रयोग किया गया क्या वह घटनास्थल की परिस्थितियों को देखते हुए उपयुक्त था या नहीं? क्या जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन ने तत्समय निर्मित परिस्थितियों और घटनाओं के लिये पर्याप्त एवं सामयिक कदम उठाये थे?, भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इस संबंध में यथोचित सुझाव और ऐसे अन्य विषय जो जांच के अधीन मामले में आवश्यक या आनुशांगिक हो?
सचिव मंदसौर न्यायिक जांच आयोग रजनीश कसेरा ने बताया कि सार्वजनिक महत्व के उपर्युक्त विषयों के संदर्भ में, जिस किसी व्यक्ति/जिला प्रशासन/ पुलिस प्रशासन को जानकारी हो और वे उपरोक्त जानकारी को आयोग के संज्ञान में लाना चाहते हो, तो इस उद्घोषणा के अधीन नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ-पत्र पर अपना फोटो चस्पा कर पहचान पत्र (आधार कार्ड या मतदाता परिचय पत्र की छायाप्रति) के साथ इस उद्घोषणा के प्रकाशन से तीन सप्ताह में कार्यालय दिवस पर स्वयं अथवा डाक के माध्यम से कार्यालय कक्ष कमांक 302, सेटेलाइट भवन, कलेक्ट्रोरेट परिसर, इंदौर में कार्यालयीन समय में प्रस्तुत कर सकते हैं।