नई दिल्ली, पेट्रोलियम उत्पादों का विपणन करने वाली कंपनियों और इसमें इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के निर्माताओं की बैठक में तय किया है कि गाड़ियों में डीजल और पेट्रोल भरने वाली मशीनों को इलेक्ट्रानिक तरीके से सील किया जाएगा, ताकि उसकी कार्यविधि में छेड़छाड़ कर ग्राहकों को चूना नहीं लगाया जा सके। इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सील करने के बाद मशीनों के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में कई पेट्रोल पंपों पर ग्राहकों के साथ माप में धोखाधड़ी करने के मामले सामने आने के बाद यह फैसला लिया गया। इन मामलों में ग्राहकों को पंप पर लगे डिस्प्ले से कम फ्यूल देकर उनकी जेब काटी जा रही थी। इसमें पल्सर कार्ड के जरिए गोलमाल करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक चिप का यूज किया जा रहा था। इस कार्ड से पता चलता है कि पंप के जरिए कितना फ्यूल दिया जा रहा है।
कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने बताया कि वजन और माप के नियमों के अनुसार पल्सर कार्ड को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सील किए जाने का प्रावधान है। उनको फिलहाल मेकैनिकल तरीके से सील किया जा रहा है। इसलिए यह काम कोई अतिरिव्त खर्च बिना तुरंत किया जा सकता है। जिन मशीन से वाहनों में ईंधन डाला जाता है, उसमें एक पल्सर कार्ड भी लगा होता है। इसको लीगल मेट्रोलॉजी डिपार्टमेंट सील करता है। अधिकारियों ने बताया कि ई-सीलिंग से पक्का हो सकेगा कि इसके साथ टेक्निशन छेड़छाड़ नहीं कर पाएंगे। एक सरकारी अफसर ने कहा, ‘एक चिप कस्टमर को हर लीटर पर 50 से 70 मिलीलीटर ईंधन का नुकसान करा सकता है। ई-सीलिंग से इन सब पर लगाम लगाई जा सकेगी।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि एक पल्स एनहैंसर डिवाइस लगभग 50,000 रुपये में आती है। इसके जरिए पंप मालिक ग्राहकों को हर महीने 12 से 15 लाख रुपये का चूना लगा सकता है। इसको देखते हुए अब फैसला किया गया है कि राज्यों के माप तौल विभाग, ऑइल कंपनियों और इक्विपमेंट निर्माओं के कार्यकारी मिलकर इलेक्ट्रॉनिक सीलिंग का काम करेंगे। इसमें वाहनों में ईंधन डालने वाली मशीनों को पासवर्ड के जरिए सुरक्षित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि ई-सीलिंग अतिरिव्त प्रबंध के रुप में किया जाएगा। पहले की भांति मेकैनिकल सीलिंग की व्यवस्था भी जारी रहेगी। बैठक में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा तेल विपणन कंपनियों और उपकरण निर्माताओं केप्रतिनिधि शामिल हुए। उपभोव्ता मामलों के मंत्रालय सूत्रों के अनुसार दोनों मंत्रालय इस काम को प्रमुखता दे रहे हैं। इसे चरणबद्ध तरीके से पूरे देश में लागू किया जाएगा।