भोपाल, बहुचर्चित शहला मसूद हत्याकांड मे मुख्य आरोपी जाहिदा परवेज और सबा फारुकी को हाइकोर्ट से जमानत मिल गई है। इंदौर बैंच के जस्टिस राजीव दुबे ने शहला मसूद हत्याकांड की आरोपी जाहिदा परवेज और सबा फारूख को जमानत दी है । विनय विजयवर्गीय अभिभाषक थे। फैसला आने के बाद जाहिदा परवेज और सबा फारूख ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका लगाई थी।जिस पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है।जस्टिस एससी शर्मा और राजीव द्विवेदी की बेंच ने दोनों की बेल एप्लीकेशन की सुनवाई के बाद गुरुवार को ये फैसला सुनाया।
जानकारी के अनुसार जमानत के लिए दोनों के वकीलों ने छह दिन पहले इंदौर हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी। वकील विनय विजयवर्गीय और अजय गुप्ता सबा फारुकी की तरफ से और जबलपुर के वकील सुरिंदर सिंह ने जाहिदा की तरफ से कोर्ट में पेश हुए थे। दोनों वकीलों की दलीले सुनने के बाद फैसले को सुरक्षित रखा गया था, जिस पर आज सुनवाई की गई । अधिवक्ता विजयवर्गीय ने बताया कि ऑर्डर की सर्टिफाइड कॉपी जिला अदालत भेजी जाएगी जहां से रिहाई का आर्डर जारी किया जाएगा। इसके बाद दोनों की रिहाई होगी। उल्लेखनीय है कि जाहिदा और सबा दोनों उज्जैन जेल में कैद हैं। आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद हत्याकांड मामले में इंदौर की सीबीआई अदालत ने जाहिदा परवेज, सबा फारूखी, शाकिब और ताबिश को उम्रकैद की सजा सुनाई थी,और सरकारी गवाह बने इरफान को बरी किया गया है। सबा और जाहिदा को 302, 120 बी में आजीवन कारावास और 1000 जुर्माने की सजा सुनाई गई थी।
ये है मामला
आरटीआई कार्यकर्ता शहला मसूद की 16 अगस्त 2011 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उसका शव भोपाल के कोहेफिजा स्थित घर के बाहर कार में पड़ा मिला था। सीबीआई ने भोपाल की जाहिदा परवेज, सबा फारूकी के साथ शाकीब डेंजर, ताबिश और इरफान को आरोपी बनाया था। इस दौरान इरफान सरकारी गवाह बन गया था। सीबीआई ने केस में 80 से ज्यादा गवाहों के बयान कराए। तत्कालीन विधायक ध्रुवनारायण सिंह और सांसद तरुण विजय के नाम भी इस केस में सामने आए थे।
बाद में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने जनवरी में इन दोनों सहित चार लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा के बाद दोनों को एक ही जेल में रखा गया था, जहां दोनों का बाकी कैदियों के साथ झगड़ा होता था। इसके बाद ही दोनों को अलग-अलग जेलों में शिफ्ट कर दिया गया था। आरटीआई कार्यकर्ता शहला मसूद की हत्या के मामले में पांच साल, पांच महीने 13 दिन तक चली जांच थी, पेशी, गवाही के बाद सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। सनसनीखेज हत्याकांड में घटना के 17 दिन बाद ही प्रकरण सीबीआई को सौंप दिया गया था। बाद में एक-एक सबूत और गवाह जोड़े गए तो हत्या की कहानी प्रेम त्रिकोण की यह कहानी तक उलझती रही। इसी कसमकश के बीच चार्जशीट के अध्ययन, पांच साल तक कोर्ट में बहस चली।