मुंबई, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह दुख की बात है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र राजनीतिक चंदे के सहारे आगे बढ़ा है। जेटली ने कहा अब राजनीतिक दलों को मिलने वाले धन के स्रोतों की सफाई का समय आ गया है। मुंबई में एसबीआई बैंकिंग एंड इकनॉमिक कॉन्क्लेव में बैंकरों और उद्योगपयों को विडियो लिंक के जरिए संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार जल्दी ही राजनीतिक दलों और नेताओं को मिलने वाले चंदे का नियमन करेगी।
जेटली ने कहा हम कुछ बड़े कदमों के ऐलान के बारे में सोच रहे हैं, जिनके जरिए हम भारत में समूची राजनीतिक धन उगाही की व्यवस्था की सफाई करना चाहते हैं। वित्त मंत्री ने कहा पिछले 70 सालों में दुनिया का यह सबसे बड़ा लोकतंत्र ऐसी धन उगाही के सहारे बढ़ा है, जिससे असल में लोकतंत्र की साख नहीं बढ़ती। प्रधानमंत्री का जोर रहा है कि सरकार को इसे अपनी वरीयताओं में शामिल करना चाहिए। जेटली जीएसटी और डीमॉनिटाइजेशन के बाद किए जा सकने वाले बड़े सुधारों के बारे में एसबीआई की अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। हाल के वर्षों में राजनीतिक गतिविधियों पर खर्च तेजी से बढ़ा है।
इसकी रफ्तार प्रति व्यक्ति आय से भी तेज रही है। हालांकि राजनीतिक गतिविधियों में होने वाले खर्च का बड़ा हिस्सा चोर दरवाजे से आता रहा है। जेटली ने फरवरी में जो आम बजट पेश किया था, उसमें कैश डोनेशंस की लिमिट तय करने और एक इलेक्टोरल बॉन्ड शुरू करने जैसे कुछ कदमों की बात की गई थी। यह बॉन्ड कुछ बैंकों की ओर से जारी किया जाएगा, जिसके जरिए राजनीतिक दल चंदा ले सकेंगे। नकद डोनेशन की सीमा अब 2000 रुपये है और राजनीतिक दल चेक या डिजिटल माध्यम से दान देने वालों से पैसा ले सकते हैं। जेटली ने हालांकि राजनीतिक फंडिंग में करप्शन से लड़ने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों का जिक्र नहीं किया, लेकिन बजट भाषण में उन्होंने कहा था कि आरबीआई ऐक्ट में बदलाव किया जाएगा ताकि इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जा सकें।
जेटली ने यह भी कहा कि गुड्स एण्ड सर्विसेज टैक्स लागू होने और नोटबंदी के प्रभावों के लिहाज से उठाए गए कदमों से आने वाले दो वर्षों में विकास को गति मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि डिमानिटाइजेशन के बाद देश ने जिस तरह कठिन निर्णय किए और उन्हें लागू किया, उससे हमारे दमखम का पता चलता है। जीएसटी और डीमॉनिटाइजेशन जैसे दो सुधारों से सुधार प्रक्रिया आसान हो गई है। जेटली ने उम्मीद जतायी कि इन उपायों के बाद अगले एक-दो सालों में कर संग्रह में ब़ढ़ोतरी होगी, जिससे अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।