नई दिल्ली,सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर संसद को कानून बनाने का सुझाव दिया है। इस मामले में सुनवाई होनी बाकी है। देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग में राजनीतिक विचारधाराओं के प्रति तटस्थ लोग हेने चाहिए। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नियुक्ति के मानक नहीं होने के बावजूद अब तक के मुख्य चुनाव आयुक्त बेहद काबिल और असंदिग्ध निष्ठा वाले रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा कि आखिर क्यों निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संबंधी कानून नहीं बनाया गया। जवाब में केंन्द्र ने कहा कि जब संसद को इस पर क़ानून बनाने की जरूरत नहीं महसूस हुई तो अदालत को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। कोर्ट के कहा कि इस मसले पर विस्तार से सुनवाई की जरुरत है, इसके बाद दो महीने के लिए सुनवाई टाल दी गई। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यतक्षता वाली पीठ कर रही है।
मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर 13 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस मामले की सुनवाई अब दो महीने बाद होनी है। इस लिए न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। केंद्रीय चुनाव आयुक्त के चुनाव की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री पर होती है। प्रधानमत्री और उनकी मंत्रिपरिषद के सदस्यों की ओर से चुनाव आयुक्त का नाम सुझाया जाता है। उनकी सलाह राष्ट्रपति चुनाव आयोग को पद शपथ दिलाता है।
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर कानून बनाए संसद : सुप्रीम कोर्ट
