नई दिल्ली,उच्चतम न्यायालय इस दावे की पड़ताल करेगा कि तिरुवनंतपुरम के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के एक तहखाने में रहस्यमयी ऊर्जा वाला असाधारण खज़ाना रखा है।
मंदिर के तहखाने को खोला जाए या नहीं, इस मुद्दे को उच्चतम न्यायालय के समक्ष उठाया गया। शीर्ष अदालत ने खज़ाने की सुरक्षा, खातों की ऑडिटिंग आदि पर दिशानिर्देश जारी किए।
प्रधान न्यायाधीश जे एस खेहर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ की मामले में न्यायमित्र के रूप में सहायता कर रहे वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि मंदिर के कल्लारा वॉल्ट बी को खोला जाना चाहिए क्योंकि इसे इस आशंका के साथ बंद किया गया था कि इसमें कुछ रहस्यमयी ऊर्जा है। उन्होंने पीठ से कहा, ‘विशेषज्ञों का कहना है कि कल्लारा बी को खोला जाना चाहिए क्योंकि इसे पहले भी खोला गया है। कल्लारा बी में एक चैंबर से अधिक चैंबर हो सकते हैं। कल्लारा बी में रखे सामान को लेकर बेकार का संदेह पैदा किया गया है।’
शीर्ष अदालत ने कहा कि वो इस मुद्दे को बाद में देखेगी कि तहखाने को खोला जाए या नहीं। उसने कहा था कि वो मंदिर के प्रशासन पर लगातार नज़र नहीं रख सकती। इस बीच पीठ ने न्यायमित्र की ओर से उनकी रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों पर मंदिर के कामकाज से संबंधित कई दिशानिर्देश जारी किए। मंदिर के खजाने की सुरक्षा के संबंध में सुब्रमण्यम ने कहा कि ये मंदिर तक सीमित रहना चाहिए और वहां उचित सुरक्षा बंदोबस्त होने चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि खज़ानों की सुरक्षा के लिए आईपीएस अधिकारी एच वेंकटेश के नाम पर विचार किया जा सकता है क्योंकि वो तिरूवनंतपुरम के पुलिस आयुक्त रहे हैं और सीबीआई में भी काम कर चुके हैं। देवताओं की प्रतिमा की मरम्मत के मुद्दे पर पीठ ने कहा कि विशेषज्ञों से ये काम कराया जाना चाहिए।
सुब्रमण्यम ने पीठ के समक्ष मंदिर के खज़ाने में शामिल आठ हीरे गुम होने का मुद्दा भी उठाया जिस पर उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि इस मामले में चीजें आगे बढ़ रही हैं। सुब्रमण्यम ने पीठ से कहा, ‘मेरी एक चिंता है। आठ गुम हुए हीरों के मामले में इस अदालत को जांच रिपोर्ट मंगानी चाहिए।’
इस पर पीठ ने कहा, ‘चीजें आगे बढ़ रही हैं। वो इसे कर रहे हैं। सब इस बारे में जानते हैं। अभी कुछ कहना बहुत जल्दी होगी। अगर आपको लगता है कि इस मामले में जांच सही से नहीं हुई तो आप बाद में अदालत में आ सकते हैं।’