रायपुर,देश में जीएसटी लागू करने के साथ ही मोदी सरकार बेनामी संपत्ति रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी। हाल के दिनों में पीएम मोदी ने एक कार्यक्रम में साफ किया था कि आने वाले दिनों में कालाधन और बेनामी संपत्ति वालों पर और सख्त कार्रवाई होगी। इसी बयान के बाद अब आयकर विभाग की राडार में छतीसगढ़ राज्य आ गया है। छत्तीसगढ़ में अब बेनामी संपत्ति वालों पर आयकर विभाग कार्रवाई करेगा। प्रदेश के 50 से ज्यादा नेता,अफसर और कारोबारी इसकी जद में आ रहे हैं। रायगढ़,बालोद,बेमेतरा और राजनांदगांव में सबसे ज्यादा बेनामी संपत्ति पकड़ में आई है। कारोबारियों ने नौकर,घर में काम करने वाली महिलाओं के नाम से तक संपत्ति खरीदी है। आयकर विभाग की सेंट्रल टीम ने छत्तीसगढ़ के सरकारी अफसरों, रियल इस्टेट कारोबारी, शराब माफिया,पावर प्लांट संचालकों की सूची तैयार की है, जो अपनी बेनामी संपत्ति और पैसों को किसी दूसरे के नाम पर रखकर कारोबार चला रहे हैं। आयकर विभाग के अनुसार संपत्ति के असली मालिक तो आठ से दस लोग ही हैं, लेकिन उनके नौकरों और कर्मचारियों के नाम पर सैकड़ों बोगस फर्म और कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। कर्मचारियों के नाम पर पैनकार्ड भी बनवाया गया है। झोपड़ी में रहने वालों के नाम से करोड़ों का हर साल कारोबार किया जा रहा है।
पिछले छह महीने में कुछ बड़े कारोबारियों ने करोड़ों की जमीन को दान में दिखाकर उन्हें भी अपने कब्जे में दोबारा ले लिया है। उन्हें भी आयकर विभाग की तरफ से नोटिस भेजा गया है। ऐसे कर रहे हैं गड़बड़ी आयकर विभाग के आला अधिकारियों ने बताया कि किसी कंपनी में पैसा ‘ए’ व्यक्ति का है और उसने प्रॉपर्टी ‘बी’ व्यक्ति के नाम से ले रखी है, जबकि ‘बी’ के पास कोई सोर्स भी नहीं है, सिर्फ नाम के लिए ही उसके नाम से रजिस्ट्रेशन करा रखा है। ऐसी प्रॉपर्टी या खातों की जानकारी लेकर आयकर विभाग बेनामी एक्ट के तहत कार्रवाई कर रहा है। आयकर विभाग ने एक नवंबर 2016 से नए बेनामी सौदे प्रतिबंध संशोधन कानून 2016 के तहत कार्रवाई करनी शुरू की थी। इस कानून में सात साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। आयकर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि चल और अचल, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष और मूर्त और अमूर्त संपत्ति यदि उसके वास्तविक लाभ प्राप्तकर्ता स्वामी के बजाय किसी अन्य के नाम पर हों, तो उसे बेनामी संपत्ति कहा जाता है।
CG के 50 से ज्यादा नेता,अफसर और कारोबारी IT की राडार पर
