नई दिल्ली,वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार द्वारा वस्तुओं की वाजिब कीमत सुनिश्चित करने के कारण उपभोक्ता जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को लेकर कोई शिकायत नहीं कर रहे। वित्त मंत्री के मुताबिक, अप्रत्यक्ष कर का भार खरीददारों को झेलना होता है, फिर भी पता नहीं क्यों कुछ व्यापारी शिकायत कर रहे हैं? उन्होंने कहा, ‘देश में कोई भी ग्राहक शिकायत नहीं कर रहा, क्योंकि हमने उचित कर निर्धारण करने की कोशिश की है। कुछ व्यापारी ही क्यों इसकी शिकायत कर रहे हैं? व्यापारियों को टैक्स नहीं देना है, ग्राहकों को देना है। ऐसे में उन्हें क्या तकलीफ है, समझ में नहीं आता। ‘ जेटली ने कहा कि समाज की यह धारणा है कि टैक्स नहीं देना कोई बुरी बात नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। अगर भारत को विकासशील अर्थव्यवस्था से विकसित अर्थव्यवस्था बनना है, तो लोगों को यह मानसिकता बदलनी होगी।
जेटली ने कहा कि सरकार को रक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य खर्चे के लिए धन की जरूरत है। यही वजह है कि अर्थव्यवस्था की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए कुछ कड़े फैसले किए गए हैं। वित्त मंत्री ने कहा, ‘आर्थिक सुधार के लिए यह जरूरी है कि सरकार की दिशा सही हो। अधपकी योजना से सुधार नहीं हो सकता। जो सरकार झिझकती है वह सुधार नहीं ला सकती।’ उन्होंने कहा कि जीएसटी से तैयार किए गए मजबूत आधार से टैक्स का भार कम करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि 15 प्रतिशत के एक टैक्स से गरीबों पर भार पड़ता और सरकार की कर नीति में साम्यता नहीं रह जाती। केंद्रीय वित्त मंत्री एवं राज्यों के वित्त मंत्रियों की सदस्यता वाले जीएसटी काउंसिल ने 5,12,18 और 28 प्रतिशत का चार स्तरीय टैक्स स्लैब तैयार किया है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘चिंता की कोई बात नहीं है। कुछ लोग चिंतित है और वे इससे दूरी बना रहे हैं। यह देश का सामूहिक फैसला है और मुझे भरोसा है कि इससे देश को लाभ मिलेगा। जब कभी बदलाव होता है, तो टेक्नॉलजी आधारित दिक्कतें होती ही हैं।’