नई दिल्ली,राष्ट्रीय जांच एजेंसी भारत सरकार से पाकिस्तान के साथ एलओसी बॉर्डर ट्रेड पर रोक लगाने की सिफारिश कर सकती है। पाक के साथ नियंत्रण रेखा वस्तु विनिमय व्यापार 2008 में शुरू हुआ था। नियंत्रण रेखा पर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार पर एनआईए की जांच लगभग पूरी हो गई है। सूत्रों की मानें तो इस व्यापार का जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों और क्षेत्र में अशांति फैलाने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। दरअसल पीओके से व्यापार वस्तु विनिमय के आधार पर होता है। दोनों ओर से सामान के बदले सामान दिया और लिया जाता है। सलामाबाद और चाकन दा बाग व्यापार सुविधा केंद्रों से होने वाले 21 वस्तुओं की एलओसी वस्तु विनिमय व्यापार को 2008 में विश्वास बहाल करने के रूप में शुरू किया गया था, लेकिन यह उस उद्देश्य पर खरा नहीं उतरा।
सूत्रों का कहना है कि आईएसआई ने पत्थरबाजों की फंडिंग के लिए पीओके में बाकायदा फंड मैनेजर तैनात किए हुए हैं। ये एजेंट सरहद पर सामान के आदान-प्रदान की फर्जी इन-वॉयसिंग का सहारा लेते हैं। आयात और निर्यात के सामान की कीमत कम करके दिखाई जाती है और बाकी पैसे का बड़ा हिस्सा अलगाववादियों तक पहुंचाया जाता है। एनआईए की जांच में पता चला है कि 2008 से 2016 के बीच उरी के रास्ते पाकिस्तान की ओर से कुल 2 हजार करोड़ रुपए का सामान निर्यात किया गया। वहीं भारत ने इस दौरान 1900 करोड़ का सामान उस पार भेजा। एनआईए को शक है कि इस तरकीब से घाटी भेजा गया पैसा हुर्रियत नेताओं तक भी पहुंचा है। इस रकम का बड़ा हिस्सा पत्थरबाजों को दिया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो फिलहाल करीब 667 ट्रेडिंग कंपनियां जांच के घेरे में हैं। इनमें से 6-7 ट्रेडिंग कंपनियों से कई दौर की पूछताछ हो चुकी है।