भोपाल,प्याज के बाद अब सोयाबीन को खरीदने के लिए अधिकारियों को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। प्याज खरीदने के लिए सरकार को 700 करोड़ रुपए जुटाने पड़ रहे हैं, जबकि सोयाबीन को खरीदने के लिए लगभग 15 हजार करोड़ रुपए की आवश्यकता पड़ेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 15 जून को घोषणा कर चुके हैं कि सरकार सोयाबीन भी समर्थित मूल्यों पर खरीदेगी। जबकि उत्पादन बढ़ने और वैश्विक स्तर पर मांग में कमी आने से सोयाबीन की कीमत गिर सकती है। बताया जा रहा है कि इस वर्ष सोयाबीन का उत्पादन 60 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा होने की उम्मीद है। वर्तमान में सोयाबीन का एमएसपी 2775 रुपए है, जबकि बाजार भाव 2650 से 2750 रुपए चल रहा है। अब केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य 275 रुपए बढ़ा दिया है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में सोयाबीन प्रोसेसिंग संयंत्र की सालाना क्षमता 185 लाख मीट्रिक टन है जबकि उत्पादन क्षमता 80 लाख मीट्रिक टन से अधिक कभी नहीं रही। ऐसे में कई प्रोसेसिंग संयंत्र बंद हो सकते हैं।
सोयाबीन को लाभ का धंधा बनाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। यही कारण है कि इस बार किसानों को सोयाबीन के उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध कराए गए हैं। केंद्र सरकार ने भी समर्थन मूल्य में 275 रुपए का इजाफा किया है। मध्यप्रदेश देश का प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्य है। इसके बावजूद यहां मंडी फीस 2.2 प्रतिशत है। महाराष्ट्र में यह फीस 0.85 रुपए है। वर्तमान में सोयाबीन का समर्थन मूल्य 2775 रुपए है जो बाजार भाव से करीब 100 रुपए अधिक है। बावजूद इसके प्रोसेसिंग प्लांट पर सोयाबीन की कीमत बहुत कम है। इसके अलावा आयातित खाद्य तेल पर शुल्क 37 प्रतिशत किया जाए। सरकार सोयाबीन मूल्य बढ़ाने के बजाया विसंगितियां दूर करे।