नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने सातवें वेतन आयोग के तहत केंद्रीय कर्मचारियों के भत्तों में बदलाव को मंजूरी दे दी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों के भत्तों पर सातवें वेतन आयोग के सुझाव मंजूर कर लिए गए हैं।
वित्त मंत्री ने बताया कि सेना के लिए जो शांति इलाके में हैं, उन्हें राशन की राशि नकद में दी जाएगी। सियाचिन भत्ता जो उच्चतर है, 31,500 के स्थान पर 42,500 रुपये दिया जाएगा। इसके साथ ही तकनीकी भत्ते में पुर्नगठन किया गया है। स्पेशल फोर्स के भत्ते भी बढ़ाए गए हैं। पेशनरों के 500 रुपये के चिकित्सा भत्ते को दोगुना यानि 1, 000 रुपये किया गया है। ये सिफारिशें एक जुलाई 2017 से लागू होंगी।
मकान किराये भत्ते को लेकर एक्स ,वाई , जेड श्रेणी के शहरों के बारे में आयोग ने बेसिक वेतन के हिसाब से 24 फीसदी, 16 और 8 फीसदी की सिफारिश की थी। जब महंगाई भत्ता 25 फीसदी तक पहुंचेगा तो यह 27, 18 और 9 फीसदी हो जाएगा। जब महंगाई भत्ता 50 फीसदी होगा तो यह दर 30, 20 और 10 फीसदी हो जाएगी और निम्न श्रेणी के कर्मचारियों के लिए इस प्रतिशत के अलावा एक अलग श्रेणी भी तय होगी जो न्यूनतम एचआरए तय करेगा।।। यह श्रेणी है- 5,400, 3,600 और 1,800 रुपये (यह न्यूनतम होगा)। इसके बाद जो प्रतिशत ज्यादा बनाता है तो ज्यादा भत्ता होगा।
ज्ञात रहे कि सातवें वेतन आयोग से जुड़े अलाउंस के मुद्दे पर कर्मचारियों को सरकार से फैसले का इंतजार था। लिहाजा, आज की कैबिनेट बैठक में अलाउंस से जुड़े कैबिनेट नोट पर चर्चा पर सरकारी कर्मचारी उम्मीद लगाए बैठे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश दौरे से मंगलवार रात में ही लौटे थे और इस वजह से बुधवार सुबह होने वाली बैठक को शाम पांच बजे के लिए निर्धारित किया गया था। पिछले कुछ हफ्तों से किसी न किसी वजह से सातवें वेतन आयोग से जुड़े अलाउंस के मुद्दे पर कैबिनेट की बैठक में चर्चा नहीं हो पा रही थी और इससे कर्मचारियों में इंतजार बढ़ता जा रहा था। ऐसा कहा जा रहा था कि कभी वित्त मंत्री अरुण जेटली तो कभी वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के दिल्ली में न रहने की वजह से इस मुद्दे को कैबिनेट की बैठक में नहीं रखा जा रहा था।
मालूम हो कि केंद्रीय कर्मचारियों को अन्य अलाउंसेस के अलावा एचआरए के मुद्दे पर सरकार के फैसले का करीब एक साल से इंतजार था। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 28 जून को ही सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला लिया था। सरकार ने वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू करने का ऐलान किया था, लेकिन वेतन आयोग की कई सिफारिशों के बाद केंद्रीय कर्मचारियों ने कई मुद्दों पर अपनी आपत्ति जताई थी। इन मुद्दों में अलाउंसेस को लेकर विवाद भी था।
सरकार ने इसके लिए एक समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट 27 अप्रैल को वित्तमंत्री को सौंप दी थी। वित्त मंत्रालय की ओर से यह रिपोर्ट अधिकार प्राप्त सचिवों की समिति को भेजी गई थी। अब इस रिपोर्ट पर चर्चा के बाद 1 जून को सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति ने एक कैबिनेट नोट तैयार किया था। सातवें वेतन आयोग से पहले केंद्रीय कर्मचारी 196 किस्म के अलाउंसेस के हकदार थे, लेकिन सातवें वेतन आयोग ने कई अलाउंसेस को समाप्त कर दिया या फिर उन्हें मिला दिया था, जिसके बाद केवल 55 अलाउंस बाकी रह गए थे। तमाम कर्मचारियों को कई अलाउंस समाप्त होने का मलाल था।