जयपुर, जेडीए की उदासी, लापरवाही के चलते राज्य सरकार का एक और ड्रीम प्रोजेक्ट इस सरकार के कार्यकाल में पूरा होता नहीं दिख रहा है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की विरासत सहजने की सोच के चलते अमानीशाह नाला बन चुकी द्रव्यवती नदी के पुराने वैभव को साकार करने का काम शुरू हुआ है लेकिन टाटा कंपनियों के आगे मौजूदा चुनौतियों के चलते अभी केवल 20 फीसदी काम हो पाया है।
दरअसल मुख्यमंत्री ने जेडीए को द्रव्यवती नदी के रूप में नाला क्षेत्र को पुरानी पहचान लौटाने का टॉस्क दिया था। इसके बाद इसके सौदर्यीकरण की डपीआर बनी प्रोजेक्ट के तहत इसका नक्शा तैयार हुआ। 47 किलोमीटर लंबे नदी क्षेत्र को निखराने के लिए टाटा कंपनी आगे आई इस कंपनी के काम को संभालने से पहले जेडीए की अधूरी तैयारियों ने मुश्किले र्बढा दी। अब द्रव्यवती नदी परियोजना 2018 की समय सीमा समाप्त होने की संभावना है लेकिन अभी 300 करोड ख्र्च होने के बाद महज 20 फीसदी काम हो पाया है जबकि आगे का काम और कठिन है। जानकारी के अनुसार द्रव्यवती नदी क्षे में आ रहे परिवारों को जयसिंहपुरा में शिफ्ट किया जाएगा। बीएसयूपी योजना के यह कार्रवाई होगी हालांकि जेएमसी ने काम शुरू करने में देी कर दी है। सूत्रों की मानें तो सेना ने अपने क्षेत्र में नदी के कायाकल्प का काम शुरू करने की मंजूरी दे दी है इससे पहले सेना ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि इसके हिस्से में गिरने वाले 3 किलोमीटर की दूरी पर नदी का कायाकल्प शुरू नहीं हो पाया था।