चैंपियंस ट्रोफी के फाइनल में भारत के दिग्गज बल्लेबाज एक के बाद एक पविलियन लौट रहे थे। ऐसे वक्त में हार्दिक पंडया ने दूसरे छोर से मोर्चा संभाला और उन्होंने महज 43 गेंदों में 76 रन ठोक डाले। पंडया को खेलते देखते हुए कई बार आपको युवा युवराज की लय नजर आएगी। पंडया बहुत सहजता से गेंद और बल्ले का संपर्क करते हैं और गेंद को सीमा रेखा के पार पहुंचाते हैं। उनके दूर तक छक्का मार सकने की क्षमता महेंद्र सिंह धोनी से मिलती-जुलती है। बड़ौदा के इस युवा खिलाड़ी में भारतीय टीम अपना मजबूत भविष्य देख रही है।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलते हुए पंडया को अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है, लेकिन उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा ही लिया है। जब धोनी और युवराज दोनों ही अब करियर के ढलान पर पहुंच रहे हैं। भारत के इन दोनों अनुभवी मैच फिनिशर की जगह लेने के लिए हार्दिक पंडया पूरी तरह से तैयार नजर आ रहे हैं। पंडया ने चैंपियंस ट्रोफी में दिखा दिया कि वह गेंद की रफ्तार से नहीं डरते हैं और न ही क्रीज पर टिकने में वक्त लगाते हैं। वह आते ही लंबे शॉट्स खेल सकते हैं। धोनी की टीम इंडिया अब विराट की टीम इंडिया बन रही है और पंडया उसमें फिनिशर की भूमिका में फिट हैं। कोहली को उन पर भरोसा भी है और उन्हें कुछ मैचों में युवराज और धोनी से ऊपर भी भेजते हैं।
हार्दिक की सबसे बड़ी ताकत है उनका ऑलराउंडर होना। पंडया न सिर्फ बल्लेबाज के तौर पर टीम के लिए तेजी से रन बना सकते हैं बल्कि गेंदबाज के तौर पर भी प्रभावित करते हैं। साथ ही मैदान पर वह अपनी चुस्त और तेज-तर्रार फील्डिंग से टीम के लिए उपयोगी योगदान देते हैं। खेल के मौजूदा स्वरूप खासकर वनडे और टी-20 में कप्तान को ज्यादा से ज्यादा ऑलराउंडर की जरूरत है। इस लिहाज से पंडया युवा युवराज सिंह के करीब हैं। युवराज ने भी टीम के लिए पार्ट टाइम बोलर के तौर पर कई बार बड़े विकेट झटके और अच्छी गेंदबाजी की थी।
23 साल के हार्दिक पंडया आईपीएल में मुंबई इंडियंस की तरफ से खेलते हैं। खेल के सबसे छोटे प्रारूप टी-20 क्रिकेट में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। वह न सिर्फ बड़े शॉट्स लगाते हैं बल्कि गेंद और फील्डिंग से भी अपनी उपयोगिता साबित करते हैं। मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए उन्होंने कई चैंपियन पारियां खेली हैं। टी-20 में बल्ले से उनका धमाका सुरेश रैना की तरह है। वह आते ही आक्रामक मानसिकता के साथ खेल दिखाते हैं। 2019 का वर्ल्ड कप इंग्लैंड में होना है और चैंपियंस ट्रोफी में पंडया ने वहां असरदार प्रदर्शन किया है। 2 साल के इस समय में कप्तान कोहली और टीम के कोच को यह देखना होगा कि पंडया 140 की रफ्तार के आसपास पूरे 10 ओवर डाल सकें। अभी तक उन्होंने सिर्फ एक मैच में 10 ओवर डाले हैं। इसके अलावा सबसे बड़े टूर्नमेंट के लिए यह युवा खिलाड़ी मानसिक तौर पर भी पूरी तरह से मजबूत और परिपक्व हो, इस तरफ भी ध्यान देना होगा।
भारतीय क्रिकेट टीम टेस्ट में भले ही नंबर 1 हो, लेकिन इसकी एक वजह ज्यादातर मैच का भारत में होना भी है। आर अश्विन निसंदेह उपमहाद्वीप में टेस्ट ऑलराउंडर के तौर पर उभरे हैं, लेकिन विदेशी धरती पर अभी भी एक सक्षम ऑलराउंडर की तलाश है। हार्दिक पंडया उस खाली जगह को भर सकते हैं हालांकि, इसमें शक नहीं है कि पंडया को बेहतर टेस्ट प्लेयर बनने के लिए अपनी प्रतिभा के साथ मेहनत भी करनी होगी।