भोपाल,प्रदेश के आठ अस्पतालों में मेरा अस्पताल एप की सुविधा प्रारंभ होने जा रही है, जिसमें इलाज कराने वाले मरीज को अस्पताल से रीलिव होने के बाद घर पर फोन लगाकर अस्पताल में उपलब्ध कराई गई सुविधाओं के बारे में फीडबैक लिया जाएगा।इस साल प्रदेश के आठ अस्पताल इस सिस्टम से जुड़ रहे हें। राजधानी के जेपी अस्पताल में यह व्यवस्था इस महीने के अंत तक शुरू हो जाएगी। इलाज के बाद अस्पताल में मिली सुविधाओं से आप खुश हैं या नाखुश यह जानकारी मोबाइल पर एक-या दो नंबर डायल कर दे सकेंगे। अस्पताल में पर्चा बनवाते समय दिए गए मोबाइल नंबर पर कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से मरीजों का फीडबैक लिया जाएगा।
मरीजों से फीडबैक लेने के लिए भारत सरकार ने ‘मेरा अस्पताल एप लांच किया है। अब इस एप से प्रदेश के अस्पतालों को जोड़ा जा रहा है। सबसे पहले जेपी अस्पताल जुड़ेगा। एप के जरिए मरीजों का फीडबैक लेने के लिए ओपीडी में पंजीयन के वक्त उनका मोबाइल नंबर लिया जाएगा। एप के सर्वर में सभी अस्पतालों को डाटाबेस तैयार हो जाएगा। इसके बाद सैंपलिंग के तौर पर कंप्यूटर से अपने आप कुछ मोबाइल नंबर चुनकर उनमें कंप्यूटराइज्ड कॉल आएंगी। ओपीडी और आईपीडी के कुछ मरीजों को सैंपल के तौर पर लिया जाएगा। रेलवे के 139 नंबर की तरह से अपनी राय जाहिर करने के लिए मरीजों को मोबाइल पर एक या दो नंबर का विकल्प चुनना होगा। इस तरह हर अस्पताल में अलग-अलग सुविधाओं पर मरीजों की राय पता चल जाएगी। पहला सवाल सभी व्यवस्थाओं को लेकर रहेगा। इसमें मरीज के संतोष जाहिर करने पर अगला सवाल नहीं पूछा जाएगा। नाखुशी जताने पर आगे के सवाल किए जाएंगे।
नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्यूएएस) के तहत प्रदेश के अस्पतालों की ग्रेडिंग की जाती है। इसमें मरीजों से मिलने वाले फीडबैक को भी आधार बनाया जाता है। फीडबैक रिपोर्ट अभी खुद अस्पताल प्रबंध्ना तैयार कर रहा था। अब भारत सरकार खुद फीडबैक लेगी। बता दें कि एनक्यूएएस में खरा उतरने पर अस्पताल को प्रति बेड हर साल 5 हजार स्र्पए इंसेटिव दिया जाएगा। इस संबंध में डिप्टी डायरेक्टर (क्वालिटी एश्योरेंस) डॉ. पंकज शुक्ला का कहना है कि जेपी समेत प्रदेश के 8 अस्पतालों को इस एप से जोड़ा जा रहा है। मरीज के दिए गए नंबर फोन कर फीडबैक लिया जाएगा। इसी से अस्पताल की क्वालिटी स्टेटस तय होगी।