जमीन का मुआवजा बांटने नहीं मिल रहे 167 किसान

भोपाल,राष्ट्रीय राजमार्ग -12 (भोपाल से ब्यावरा मार्ग) को फोरलेन बनाने अधिग्रहित की गई किसानों की जमीन का मुआवजा बांटने के लिए जिला प्रशासन किसानों को तलाश रहा है। अधिग्रहित जमीन के 357 किसानों में से 167 किसान न तो ग्रामों में मिल रहे हैं और न ही उसके वर्तमान निवास के पते पर। जिला प्रसाशन इन किसानों को ढूंढ-ढूंढकर परेशान हो चुका है। यह स्थिति पिछले छह माह से बनी हुई है। अभी भी 10 करोड़ रुपए का मुआवजा बंटना बाकी है। तहसील हुजूर के अधिकारियों की माने तो गांव में मुनादी कराई गई, तब भी किसान नहीं जागे। कुछ दिनों पहले जब अखबारों में विज्ञापन जारी किए तब किसानों को मुआवजा लेने की सुध आई। अब तक करीब 65 किसानों ने अपना मुआवजा पाने के लिए तहसील हुजूर कार्यालय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। अब इन किसानों की जांच कराई जा रही है। अभी भी 10 करोड़ रुपए का मुआवजा बंटना बाकी है।
सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय राजमार्ग -12 (भोपाल से ब्यावरा मार्ग) को फोरलेन करने के लिए भोपाल के 13 गांवों सिंगारचोली, नयापुरा, हलालपुर, लाउखेड़ी, गोंदरमऊ, पीपलनेर, मुबारकपुर, कुराना, चंदूखेड़ी,बदरखा सड़क, परवलिया सड़क, मुगालिया हाट व झिरनिया की 25 हेक्टेयर यानि कुल 62 एकड़ जमीन का भू-अर्जन किया गया। यह जमीनें 357 किसानों की थी। जमीन अधिगृहण कर अवार्ड पारित करते हुए सभी किसानों को कुल 36.29 करोड़ रुपए मुआवजा बांटा जाना था, लेकिन 190 किसानों ने ही 24.43 करोड़ रुपए का मुआवजा प्राप्त किया। अभी भी 167 किसानों ने 10 करोड़ रुपए मुआवजा पाने के लिए पहल तक नहीं की है, जबकि उन्हें प्रशासन पिछले एक साल से तलाश रहा है। किसान न तो गांव में रह रहे हैं और न ही उनके वर्तमान पते की जानकारी मिल पा रही है। ग्रामीणों तक को उन किसानों के विषय में पता नहीं है। इस बारे में हुजूर एसडीएम कमल सिंह सोलंकी का कहना है कि जिला प्रशासन अपना काम कर रहा है। यदि किसान मुआवजा राशि लेने नहीं आएंगे, तो उनकी यह राशि या तो कोर्ट में जमा करा दी जाएगी या फिर सरेंडर कर दी जाएगी। इसके लिए आला अधिकारियों से भी मार्गदर्शन मांगा गया है।

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