वाशिंगटन,अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते से अलग होने के फैसले को लेकर उन्हें आड़े हाथों लिया है। उन्होने अपने उत्तराधिकारी टंप के निर्णय पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि ऐसा करके ट्रंप प्रशासन उन मुट्ठी भर राष्ट्रों में शामिल हो गया है जिन्होंने भविष्य को नकारा है। ओबामा ने एक बयान में कहा कि जो राष्ट्र पेरिस समझौते में बने रहेंगे वे देश, नौकरियों और उद्योगों का लाभ उठाएंगे। मेरा मानना है कि अमेरिका को इस समझौते के अग्रिम में होना चाहिए। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि च्अमेरिकी नेतृत्व की गैर मौजूदगी में और इस प्रशासन द्वारा भविष्य को नकारने वाले मुट्ठी भर राष्ट्रों में शामिल होने के बावजूद मुझे यकीन है कि हमारे राज्य, शहर और व्यापार आगे आएंगे और इस का नेतृत्व करने के लिए और प्रयास करेंगे तथा हमें जो ग्रह मिला है उसमें आने वाली पीढ़ियों की रक्षा के लिए मदद करेंगे।” पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि डेढ़ साल पहले, पेरिस में दुनिया भर के देश एक साथ आए और कार्बन का उर्त्सजन कम करने तथा उस दुनिया की रक्षा करने के लिए अपनी तरह का पहला वैश्विक समझौता किया जो हम अपने बच्चों के लिए छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वैश्विक मंच पर यह दृढ़ और सैद्धांतिक अमेरिकी नेतृत्व था जिसने उपलब्धि को मुमकिन बनाया था। यह साहसिक अमेरिकी महत्वाकांक्षा थी जिसने दर्जनों अन्य देशों को ऊंचे मानक तय करने के लिए प्रेरित किया।
ओबामा ने कहा कि तेजी से बढ़ते वायु और सौर जैसे उद्योगों में अमेरिका के निजी नवोन्मेष और सार्वजनिक निवेश के कारण नेतृत्व और महत्वाकांक्षा मुमकिन हुई। इन उद्योगों ने हाल के वर्षों में तेजी से अच्छे वेतन वाली नई नौकरियां दी हैं और हमारे इतिहास में सबसे लंबे समय तक रोजगार सृजन में योगदान दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति का सीधे तौर पर नाम लिए बिना ओबामा ने अपने बयान में कहा कि निजी सेक्टर पहले ही कम कार्बन उर्त्सजन भविष्य का चयन कर चुका है। भविष्य के लिए प्रतिबद्ध राष्ट्रों के लिए पेरिस समझौता कारोबारों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के लिए दरवाजे खोलता है ताकि वे अभूतपूर्व पैमाने पर उच्च तकनीक, कम कार्बन निवेश और नवोन्मेष शुरू कर सकें। व्हाइट हाउस की पूर्व संचार निदेशक जेन साकी ने घोषणा को विनाशकारी करार दिया।
ओबामा बोले भविष्य को नकारने वाले देशों में शामिल हो गया है ट्रंप प्रशासन
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