नई दिल्ली,जम्मू – कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने राज्य में तत्काल राज्यपाल शासन लगाने की मांग की है। अब्दुल्ला ने कहा कि वे कभी राज्यपाल शासन के समर्थक नहीं रहे, हमेशा इसका विरोध किया। लेकिन और कोई रास्ता नहीं है। नैशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख को हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर पर चर्चा के लिए नई दिल्ली बुलाया था।
उन्होंने कहा कि महीनों से अशांति के दौर से गुजर रहे राज्य में मोदी हालात का शांतिर्पूण समाधान चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको नहीं बता सकता कि मैंने प्रधानमंत्री के साथ क्या चर्चा की। बस, इतना बता सकता हूं कि वह राज्य में हालात के बारे में चिंतित हैं और इसका अंत चाहते हैं। शांतिपूर्ण अंत।’
पूर्व मुख्यमंत्री ने महबूबा मुफ्ती सरकार पर ‘सभी मोर्चे पर विफल’ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि केवल दक्षिण कश्मीर ही नहीं समूची घाटी ‘त्रासदी’ की गिरफ्त में है। अब्दुल्ला ने कहा, ‘ये त्रासदी बाकी देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा रही हैं। इसलिए जितना जल्द इस समस्या का समाधान करेंगे, उतनी जल्दी ही हम इन अंगारों को धधकती आग में बदलने से रोक सकेंगे।’ उन्होंने बीजेपी में कट्टरपंथी तत्वों से कश्मीर पर कोई भड़काउ बयान नहीं देने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘आइए एक आवाज बनें। जब प्रधानमंत्री खुद शांति चाहते हैं दूसरों को इसे सुनना चाहिए।’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘इससे मैं पूरी तरह चकरा गया क्योंकि पीडीपी-बीजेपी अजेंडा कहता है कि वे सभी से बात करेंगे। इसलिए अगर वह अजेंडा गायब है तो मैडम मुफ्ती कुर्सी पर क्या कर रही हैं? क्या उन्हें अलविदा नहीं कहना चाहिए और कोई सम्मान बचा है तो जाना नहीं चाहिए?’