गुवाहाटी, मोदी सरकार सोमवार को अपनी सरकार के तीन साल पूरे करने जा रही हैं, पीएम मोदी ने अपनी सरकार की तीसरी वर्षगांठ पर चीन सीमा के नजदीक ब्रह्मपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे धौला-सादिया पुल को देश को समर्पित कर दिया गया। उद्घाटन के बाद पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पुल पर सफर कर इसका जायजा ले रहे हैं।पुल के उदघाटन के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने इस पुल का नाम असम के मशहूद लोकगायक भूपेन हजारिका के नाम पर रखने का एलान कर दिया। मोदी ने इस दौरान कहा कि हजारिका पूरी जिंदगी बहम्मपुत्र नदी का गुणगान अपने गायन के द्वारा करते रहे।इसलिए आने वाली पीढ़ी उनके इस योगदान का याद रखे इसलिए इस सेतु का नाम हजारिका के नाम पर रखने का निर्णय केन्द्र सरकार ने लिया है।इसके पूर्व असम से अरुणाचल को जोड़ने वाला यह पुल ९.१५ किलोमीटर लंबा है।यह पुल दो असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने के साथ ही भारतीय सेना के लिए वरदान साबित होगा,इस पुल के बाद भी भारतीय सेना भी चीन से लगी बार्डर पर पूरी ताकत के साथ खड़ी होगी। सोमवार को सुबह करीब १० बजे गुवाहाटी पहुंचने के बाद हवाई अड्डे पर ही असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनवाल ने पीएम मोदी का स्वागत किया। वहीं कुछ अन्य बड़े मंत्री व नेता भी मौजूद थे। मोदी ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को उनकी सरकार के एक साल पूरा होने पर बधाई भी दी। २०१४ के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को जबरदस्त जीत दिलाने के बाद उस साल २६ मई को मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। सामरिक तौर पर भारत को लगातार घेरने की पूरी कोशिश कर रहे चीन के लिये करारा जवाब है। आपको बता दें कि चीन लगातार सीमा से सटे इलाकों में तेजी से सड़कें और अन्य निर्माण कर रहा है यह पुल उसके पलटवार माना जा रहा है। यह पुल ६० टन वजनी युद्धक टैंक का भार भी वहन करने में सक्षम है। यह पुल चीनी सीमा से हवाई दूरी १०० किलोमीटर से कम है। ब्रहमपुत्र नदी पर बने ९.१५ किलोमीटर लंबे धोला-सादिया पुल के उद्घाटन के साथ ही प्रधानमंत्री असम के पूर्वी हिस्से से राजग सरकार के तीन साल पूरे होने का जश्न आरंभ कर दिया। इस पुल को चीन भारत सीमा पर,खास तौर पर पूर्वोत्तर में भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा यह पुल अरुणाचल प्रदेश और असम के लोगों के लिए हवाई और रेल संपर्क के अलावा सड़क संपर्क भी आसान बनाएगा। यह मुंबई में बांद्रा-वर्ली समुद्र संपर्क पुल से ३.५५ किलोमीटर लंबा है और इस प्रकार यह भारत का सबसे लंबा पुल है।
असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री सामरिक रूप से अहम इस पुल को देश को समर्पित किया। यह पूर्वोत्तर में सड़क संपर्क को भी आसान बनाएगा क्योंकि रक्षा बलों द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने के अलावा पुल का उपयोग असम और अरुणाचल प्रदेश के लोग भी करेंगे। पुल का निर्माण साल २०११ में शुरू हुआ था और परियोजना की लागत ९५० करोड़ रुपये थी। इस का डिजाइन इस तरह बनाया गया है कि पुल सैन्य टैंकों का भार सहन कर सके।
यह असम में तिनसुकिया जिले के ढोला तथा सदिया को जोड़ता है,यह मुंबई के बांद्रा वर्ली सी लिंक पुल से ३.५५ किलो मीटर लंबा है,यह पुल देश की सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए रणनीतिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है, यह पुल असम की राजधानी दिसपुर से ५४० किलो मीटर तथा अरूणाचल प्रदेश की राजधानी इटानगर से ३०० किलो मीटर दूर है,चीनी सीमा से इस पुल की हवाई दूरी महज १०० किलोमीटर है,यह पुल पूर्वी क्षेत्र के दूर-दराज के लोगों को देश के अन्य हिस्सों से जुड़ने के लिए सुविधा मुहैया कराएगा, जो अभी तक नौका के जरिए कहीं भी आने-जाने के लिए विवश थे। इस पुल के निर्माण का कार्य २०११ में शुरू हुआ था तथा इसके निर्माण पर ५० करोड़ रुपए लागत आई है। यह उतर-पूर्व में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की मुख्य परियोजना था तथा इसे सार्वजनिक निजी भागीदारी में बनाया गया है।