लखनऊ,अयोध्या में छह दिसम्बर १९९२ को विवादित ढांचा ध्वस्त करने के मामले में शिवसेना नेता और पूर्व सांसद सतीश प्रधान ने बुधवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में आज आत्मसमर्पण कर दिया। श्री प्रधान के अलावा अदालत में पेश होने वालों में पूर्व विधायक पवन पाण्डेय और संतोष दुबे भी शामिल थे। श्री प्रधान के खिलाफ अदालत में आरोप तय होना था, लेकिन किन्हीं कारणों से इस पर आज बहस नहीं हो सकी जबकि श्री पाण्डेय और श्री दुबे के खिलाफ आरोप पहले से ही तय है। श्री प्रधान ने अदालत में पेश होने के बाद कहा कि वह निर्दोष हैं। उन्हें गलत ढंग से आरोपी बनाया जा रहा है। अदालत ने तीनों को २०-२० हजार रुपये के निजी मुचलके पर छोड दिया।
विदित हो कि सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेश कुमार यादव के समक्ष मामले से जुडे पांच आरोपियों श्रीरामजन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास, पूर्व सांसद डा. रामविलास दास वेदान्ती, धर्मदास, बैकुण्ठ लाल शर्मा और चम्पत राय ने गत शनिवार को आत्मसमर्पण किया था। अदालत ने शाम को ही उन्हें २०-२० हजार रुपये के निजी मुचलके की जमानत पर रिहा कर दिया था। मामले से जुडे वकीलों के मुताबिक रायबरेली की विशेष अदालत में जिन सात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा था, उन समेत सभी २८ लोगों के अदालत में पेश होने के बाद सीबीआई भारतीय दंड संहिता की धारा १२०बी के तहत आरोप पत्र दाखिल करेगी। रायबरेली की विशेष अदालत में नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा चल रहा था। जिसमें अशोक सिंहल और आचार्य गिरिराज किशोर की मृत्यु हो चुकी है जबकि कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल बना दिये गये हैं। उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के खिलाफ भी रायबरेली में मुकदमा चल रहा था लेकिन न्यायालय ने उन्हें राज्यपाल होने के नाते फिलहाल मुकदमा नहीं चलाने की छूट देकर राहत दी है।
ढांचा ध्वस्त होने के बाद रामजन्म भूमि थाने के तत्कालीन अध्यक्ष प्रियम्बदा शुक्ला ने अपराध संख्या १९७/९२ और तत्कालीन रामजन्म भूमि चैकी प्रभारी ने १९८/९२ पर मुकदमे दर्ज कराये थे। १९७/९२ में श्री आडवाणी समेत भाजपा और विश्व हिन्दू परिषद के नौ लोगों को नामजद किया गया था, जबकि १९८/९२ अपराध संख्या में हजारों अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।