नई दिल्ली, इंसानियत की मिसाल देते हुए हिंदू और मुस्लिम महिलाओं ने एक-दूसरे के पतियों को अपनी किडनियां दान देकर नई जिंदगी दी है।
ग्रेटर नोएडा के रहने वाले इकराम (२९) और बागपत के रहने वाले राहुल वरिष्ठ (३६) दोनों को किडनी की जरूरत थी। कोई किडनी देने वाला नहीं मिल रहा था।
नहीं मिल रहा था ब्लड ग्रुप
पत्नी तो किडनी देना चाह रही थी। लेकिन, ब्लड ग्रुप मिल नहीं रहा था। इकराम की पत्नी रजिया (२४) का ब्लड ग्रुप बी-पॉजीटिव था और इकराम का ए-पॉजीटिव। राहुल की पत्नी पवित्रा (३८) का ब्लड ग्रुप ए-पॉजीटिव और राहुल का बी-पॉजीटिव था। जेपी अस्पताल के वरिष्ठ किडनी प्रत्यारोपण सर्जन डॉक्टर अमित देवड़ा ने दोनों परिवारों से चर्चा कर इस मसले का हल निकाला, जिसे दोनों परिवारों ने मान लिया।
पांच घंटे में प्रत्यारोपण
किडनी प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पांच घंटे तक चली। दोनों मरीज अब अच्छी स्थिति में हैं। अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉक्टर मनोज लूथरा ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम परिवारों के बीच सफलतापूर्वक किडनी दान बताता है कि मानवीय खून किसी सीमा में नहीं बंधा है। सिर्फ इंसानी दिमाग में धार्मिक आग्रह-पूर्वाग्रह बैठे रहते हैं। इस प्रत्यारोपण में अस्पताल की पूरी टीम ने योगदान दिया।