भोपाल,आगामी जुलाई महीने से प्रदेश के करीब ५ लाख नियमित अधिकारियों-कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ मिलना प्रारंभ हो जाएगा। वित्त विभाग इसी महीने वेतन-भत्ते तय करने के फॉर्मूले का प्रस्ताव कैबिनेट में लेकर आएगा। इसको लेकर मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वित्त मंत्री जयंत मलैया और अपर मुख्य सचिव वित्त एपी श्रीवास्तव के साथ बैठक की। इसमें बताया गया कि सातवां वेतनमान देने पर सरकार के खजाने पर करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा। वहीं, १८ माह का एरियर देने में ८ से १० हजार करोड़ रुपए लगेंगे। हालांकि यह राशि जीपीएफ में जमा कराई जाएगी या नकद दी जाएगी, यह तय नहीं है।
बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि सातवां वेतनमान देने की तैयारी कहां तक पहुंची है।अधिकारियों ने बताया कि अभी लगभग २८ हजार करोड़ रुपए सालाना वेतन-भत्तों पर खर्च होते हैं। इसमें करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपए का इजाफा सातवां वेतनमान लगने पर होगा। एक जनवरी २०१६ से नया वेतनमान देने पर ८ से १० हजार करोड़ रुपए बतौर एरियर देने होंगे। अध्यापक सहित अन्य निगम, मंडल के कर्मचारियों के लिए सरकार को अलग से नीतिगत फैसला करना होगा। बैठक में यह भी बताया कि वेतन व भत्ते तय करने के लिए फॉर्मूला तैयार किया जा चुका है। सॉफ्टवेयर भी बनवाया गया है, जिससे वेतन का निर्धारण बहुत जल्दी हो जाएगा। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि दो लाख से ज्यादा प्रदेश के पेंशनरों को सातवें वेतनमान के हिसाब से पेंशन देने का फैसला छत्तीसगढ़ सरकार की सहमति के बाद होगा। छत्तीसगढ़ ने भी इस मामले में अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
बताया जा रहा है कि पेंशनरों को एरियर देने के मामले में नीतिगत निर्णय दोनों राज्यों की सरकारें मिलकर लेंगी। मालूम हो कि छठवें वेतनमान के समय पेंशनरों को ३२ माह का एरियर नहीं दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि सातवां वेतनमान देने के लिए सरकार विधानसभा के मानसून सत्र में अनुपूरक बजट में राशि का प्रावधान करेगी। मौजूदा बजट में इसके लिए अलग से राशि नहीं है।