गुरुग्राम,गुरुग्राम के सुशांत लोक स्थित पारस अस्पताल में दुर्लभ सर्जरी से एक 9 वर्षीय बच्चे को नई जिंदगी दी गई। जन्म से एयरोटिक स्टेनोसिस हार्ट वॉल्व की गड़बड़ी से पीड़ित नितिन को छह घंटे तक सर्जरी के बाद नया जीवन मिला है। बच्चे के रुग्ण एयरोटिक वॉल्व को रोस सर्जरी के जरिये बदला गया है। इस प्रक्रिया में नेटिव पल्मोनरी वॉल्व से दिल के भीतर एयरोटिक वॉल्व को बदला गया। अस्पताल का दावा है कि यह इस तरह का अस्पताल में पहला ऑपरेशन है। ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि देश में करीब 1.5 लाख में से एक बच्चे में यह रोग पाया जाता है।
रेवाड़ी के रहने वाले नितिन को सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी के बाद अस्पताल लाया गया था। जांच के बाद पाया गया कि जन्मजात एयरोटिक स्टेनोसिस, हार्ट वॉल्व की गड़बड़ी है। पारस अस्पताल के कार्डियोथोरेसिस एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉ. विशाल अग्रवाल ने बताया कि इसमें एयरोटिक वॉल्व का खुलना कम हो जाता है और ह्रदय से रक्त का प्रवाह शरीर के बाकी हिस्से तक उचित ढंग से नहीं हो पाता। बच्चे के शरीर में असामान्य पेटेंट ट्यूब है, जो उतरते थोरैसिस एरोटा और पल्मोनरी आर्टरी को जोड़ता है और यह उसकी समस्या बढ़ा रही थी। इस तरह की स्थिति में आक्सीकृत रक्त गलत दिशा में प्रवाहित होना शुरू हो गया था। इससे समस्याएं बढ़ रही थीं। डॉक्टरों के मुताबिक, इस नौ साल के बच्चे को जन्मजात दोहरी बीमारी से हार्ट के फेल होने और बहुत कम उम्र में अन्य जटिलताएं पैदा होने की आशंका बढ़ रही थी। इसे देखते हुए वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉ. विशाल अग्रवाल की अगुवाई में 6 डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के जरिये मरीज के एयरोटिक वॉल्व को उसके खुद के पल्मोनरी वॉल्व से बदला गया। इससे जन्मजात विकृति दूर की जा सके।