छिंदवाड़ा, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की मनमानी उन उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही है, जिनके नाम कृषि पंप के नाम से कनेक्शन हैं। हर महीने बिलिंग शुरू कर दी है, लेकिन रीडिंग नहीं कराई जा रही है। औसत आधार पर बिजली के बिल जारी किए जा रहे हैं। हर महीने 850 से 900 यूनिट का बिल दिया जा रहा है, जिससे ये उपभोक्ता बिल नहीं भर पा रहे हैं। इनके ऊपर 77 लाख 75 हजार का बकाया हो गया है। बिजली नियामक आयोग कृषि पंप कनेक्शन के लिए अलग से टैरिफ जारी करता है। छह माह में एक बार बिल दिया जाता है। अप्रैल से सिंतबर तक 95 रुपए प्रति एचपी व अक्टूबर से मार्च की खपत 170 रुपए प्रति एचपी के हिसाब से बिल देने का प्रावधान किया है। 5 एचपी के कनेक्शन पर 6 हजार रुपए किसान को जमा करना होता है। यह पैसा भी दो किस्तों में जमा करना होता है। शेष पैसा सरकार सब्सिडी के रूप में विद्युत कंपनी को देती है, कृषि उपभोक्ताओं को टैरिफ के अनुसार बिजली नहीं दी जा रही है। इन्हें हर महीने औसत आधार पर बिजली बिल दिया जा रहा है, लेकिन मीटर रीडिंग नहीं कराई जा रही है। इनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
:: अक्टूबर से मार्च के बीच रहता है लोड
वैसे कृषि लोड अक्टूबर से मार्च के बीच रहता है। रवी की फसल मार्च में कट जाती है। कृषि लोड खत्म हो जाता है। हर महीने हो रही गलत बिलिंग के चलते कनेक्शनों पर बकाया बढ़ रहा है। इसमें लगातार इजाफा हो रहा है।