मुंबई, पुणे में 28 वर्षीय महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मंगलवार को तीन आरोपियों को मौत की सजा सुनाई है। इस मामले में चौथे आरोपी को गवाह बन जाने के बाद छोड़ दिया गया था।
अदालत ने योगेश राउत, महेश ठाकुर और विश्वास कदम को 7 अक्टूबर 2009 को उपहरण कर महिला की हत्या करने का दोषी पाया। पीड़िता का उस वक्त अपहरण किया गया था जब वो खारादी बाइपास पर सवारी का इंतजार कर रही थी। पीड़िता का शव घटना के दो दिन बाद पास ही के जंगलों में मिला था। अभियोग पक्ष के वकील ने कोर्ट को बताया कि महिला के साथ गाड़ी में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इसके साथ ही उसके वो सारे पैसे भी लूट लिए गए थे, जो उस शाम पीड़िता ने एटीएम से निकाले थे। सुनवाई के दौरान मामले का प्रमुख आरोपी योगेश राउत उस वक्त पुलिस की गिरफ्त से भाग निकला था, जब उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा था। 20 महीने बाद पुलिस ने उसे शिरडी से दोबारा गिरफ्तार किया। अभियोजन पक्ष के वकील ने दलील दी कि ये मामला ‘रेरेस्ट ऑफ रेयर केस’ की श्रेणी में आता है। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की तरफ से करीब 37 प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ की गई।
पीड़िता के पति और बहन ने तीनों अभियुक्तों के लिए मौत की सज़ा की मांग की। इस मामले में तीन साल तक सुनवाई चली और चार जजों ने इसपर फैसला सुनाया।