नई दिल्ली,कोलकात्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सीएस कर्णन को सात सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 6 माह की कैद सुनाई है। उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने यह अभूतपूर्व फैसला न्यायालय की अवमानना करने के मामले में दिया है। प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ में न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर, न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ शामिल थे। पीठ ने फैसला देते हुए कहा कि ‘हम सभी का सर्वसम्मति से यह मानना है कि न्यायाधीश सीएस कर्णन ने न्यायालय की अवमानना की, न्यायपालिका की और उसकी प्रक्रिया की अवमानना की।’ न्यायाधीश कर्णन को छह माह की जेल की सजा सुनाए जाने से संतुष्ट पीठ ने कहा कि सजा का पालन किया जाए और उन्हें तुरंत हिरासत में लिया जाए। गौरतलब है कि जस्टिस कर्णन पहले ही उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ आदेश जारी कर चुके हैं अत: आगे वो ऐसा यदि करते हैं तो इसके लिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों ही मीडिया को उनकी ऐसी किसी सामग्री को प्रकाशित नहीं करने के आदेश भी पीठ ने दे दिए हैं। यह मामला अपने आप में एक अलग तरह का मामला है। ऐसा भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार हुआ है कि हाईकोर्ट के किसी सिटिंग जज को अवमानना मे दोषी ठहराया गया हो। इस मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह, वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल और रुपिंदर सिंह सूरी की ओर से जस्टिस कर्णन को सजा दिए जाने का समर्थन किया गया है। इस प्रकार अब कर्णन के बयान को भी मीडिया प्रकाशित नहीं कर सकेगा। पीठ का कहना था कि जस्टिस कर्णन ने स्वयं माना है कि वो दिमागी तौर पर पूरी तरह से ठीक हैं, ऐसे में उन्हें सजा में किसी तरह की छूट नहीं दी जा सकती है। गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के दिमागी संतुलन की जांच को लेकर डाक्टरों की एक टीम बनाने और जांच करने की बात कही थी। इसके बाद ही जस्टिस कर्णन ने जांच कराने से इंकार करते हुए बीते रविवार को एससी, एसटी एक्ट के तहत सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर समेत आठ जजों को पांच साल सश्रम कारावास की सजा उन्होंने सुना दी थी, जिसे मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित भी किया।