लखनऊ, उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य की विकास दर को दहाई में ले जाना है। इसके लिए कृषि एवं औद्योगिकरण के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेष के विकास का रोड मैप तैयार किया जा रहा है। इसके लिए केन्द्र सरकार से भी सभी स्तरों पर सहयोग अपेक्षित है। उन्होंने कहा कि समर्थ भारत बनाने का रास्ता उप्र से ही होकर जाता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को यहां नीति आयोग के उपाध्यक्ष डा. अरविन्द पानगड़िया के नेतृत्व में आये 17 सदस्यीय दल के साथ पूरे दिन मैराथन बैठक की। इस दौरान प्रदेश के विकास से जुड़े विभिन्न विषयों पर जहां नीति आयोग की ओर से प्रस्तुतिकरण किया गया वहीं मुख्यमंत्री श्री योगी ने भी अपनी और प्रदेश की अपेक्षाओं से आयोग के अधिकारियों को अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने बाद में पत्रकारों को बताया कि पहली बार नीति आयोग किसी राज्य में जाकर वहां के विकास को लेकर चर्चा कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेष का चाहे बुन्देलखण्ड हो या फिर पूर्वांचल समूचे प्रदेश का विकास करना है। आयोग को बताया गया है कि बुन्देलखण्ड पैकेज की अवधि समाप्त हो गयी है। जबकि यहां अभी बहुत से काम कराया जाना बाकी है। ऐसे में इस पैकेज का विस्तार किया जाए। आयोग को यह सुझाव भी दिया गया है कि हर पांच साल में बीपीएल सर्वे कराया जाये। उन्होंने कहा कि सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदेष के सीमित संसाधनों को देखते हुए भारत सरकार से सभी स्तरों पर सहयोग अपेक्षित होगा। उन्होंने बताया कि आयोग ने आष्वासन दिया है कि उप्र के विकास में संसाधनों की कमी नहीं आने दी जायेगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि विभिन्न विषयों पर चर्चा के बाद एक कार्यकारी ग्रुप का गठन किया गया है। इसमें नीति आयोग की ओर से सदस्य डा. रमेश चन्द्र, सीईओ अमिताभ कान्त तथा प्रदेष सरकार की ओर से स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव नियोजन को शामिल किया गया है। यह ग्रुप सभी विभागों से समन्वय करते हुए उप्र के विकास का 15 दिन में रोड मैप तैयार करेंगे। वहीं पत्रकार वार्ता में मौजूद नीति आयोग के उपाध्यक्ष डा. अरविन्द पानगड़िया ने बताया कि मैराथन बैठक के दौरान आयोग की ओर से दस प्रस्तुतिकरण हुए। उन्होंने कहा कि उप्र दुनिया का पांचवां बड़ा राज्य है। उन्होंने कहा कि आयोग उप्र को सभी क्षेत्रों में सहयोग करेगा।