जयपुर,राजस्थान की राजधानी जयपुर में पले बढ़े युवक मोनार्क शर्मा को अमेरिकी सेना के एएच-64ई कॉम्बेट फाइटर हेलीकॉप्टर इकाई में वैज्ञानिक के तौर पर नियुक्त किया गया है। इससे पहले मोनार्क वर्ष 2013 में नासा में बतौर जूनियर अनुसंधान वैज्ञानिक काम किया और वर्ष 2016 में अमेरिकी सेना में चुने गए। अब वह यूएस आर्मी के एच-64ई कॉम्बेट लड़ाकू हेलीकॉप्टर इकाई का हिस्सा होंगे। मोनार्क की वैज्ञानिक के पद पर नियुक्ति की गई है, उनका सालाना वेतन 1.20 करोड़ रुपये होगा। मोनार्क ने जयपुर में सी-स्कीम स्थित भगवान महावीर जैन स्कूल से प्रारंभिक पढ़ाई की थी। जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन में स्नातक डिग्री मोनार्क ने जयपुर राष्ट्रीय विश्वविद्यालय से हासिल की। नासा के मून बग्गी और लूना बोट जैसे प्रोजेक्ट उनके भाग्य को बदलने वाले साबित हुए। मोनार्क के नेतृत्व में मून बग्गी प्रोजेक्ट ने सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन का अवॉर्ड जीता था और लूना बोट प्रोजेक्ट ने पांचवा स्थान हासिल किया था। इसके बाद वर्ष 2013 में मोनार्क नासा की मास कम्यूनिकेशन विंग का हिस्सा बने। वर्ष 2016 मई में मोनार्क यूएस आर्मी में सम्मलित हुए। यहां कुछ माह में ही अपने बेहतरीन कार्य के चलते उन्हें दो प्रतिष्ठित अवॉर्ड से नवाजा गया। जिसमें एक है आर्मी सर्विस मेडल जबकि दूसरा अवॉर्ड है सेफ्टी एक्सीलैंस अवॉर्ड। अब मोनार्क अपने नए रोल में इस वर्ष यूएस आर्मी में सम्मिलित होने वाले फाइटर प्लेन की डिजाइनिंग,निर्माण व निगरानी का कार्य करेंगे। शर्मा को अमेरिका की नागरिकता यूएस आर्मी के माध्यम से मिली है। जबकि उन्हें नासा ने भी ग्रीन कार्ड व नौकरी की पेशकश की थी। मोनार्क का कहना है कि उन्हें भारतीय सेना के लिए कार्य करने का अवसर नहीं मिला लेकिन उनका यूएस आर्मी के साथ कार्य करना भारत को भी गौरवान्वित करेगा।