कोलकाता, देश की शीर्षअदालत से भिड़ने वाले कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस करनन ने सोमवार को देश में नया न्यायिक इतिहास रच डाला उन्होंने प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और सुप्रीम कोर्ट के सात अन्य जजों को पांच साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। हालांकि यह बात और है कि जस्टिस करनन न्यायिक अवमानना के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
उनके मामले की मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
जस्टिस करनन का कहना है कि आठ जजों ने 1989 के अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम और 2015 के संशोधित कानून के तहत दंडनीय अपराध किया है।
इन्हें सुनाई सजा
जिन जजों को जस्टिस करनन ने सजा सुनाई है,उनमें प्रधान न्यायाधीश खेहर, जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं। इधर,जस्टिस करनन ने सूची में जज जस्टिस आर भानुमति का नाम भी जोड़ा है,क्योंकि उन्होंने ही।न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज से करनन को रोका था।
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ जस्टिस करनन के द्वारा लिखे गए पत्रों पर खुद ही संज्ञान लिया था और 8 फरवरी को उनके प्रशासनिक तथा न्यायिक अधिकारों के उपयोग पर रोक लगा रखी है।
अपमानित किया
आठों जजों ने जातिगत भेदभाव करा है। सार्वजनिक संस्थान में अपमानित कर दलित जज का उत्पीड़न किया।
जस्टिस करनन
जुर्माना भी ठोंका
जस्टिस करनन ने न्यू टाउन में रोजडेल टॉवर स्थित अपने आवास से ही आदेश जारी कर कहा कि इस मामले में कोर्ट का फैसला जरूरी नहीं है। उन्होंने एससी-एसटी कानून की उपधाराओं (1) (एम), (1) (आर) और (1) (यू) के तहत एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। उन्होंने निर्देश दिया कि यदि जुर्माना अदा नहीं किया गया तो सभी को छह महीने की कैद और काटनी होगी।