UP 300 मौलवी मुस्लिमों को बताएंगें गाय के फायदे

लखनऊ, मोदी सरकार के आने के बाद से जबरदस्त तरीके से सक्रिय हुआ संगठन आरएसएस अब देश के मुस्लमानों के बीच भी अपनी पैठ को बढ़ाना चाहता है। इसके लिए आरएसएस के द्वारा आने वाले दिनों में एक बहुत बड़ा कार्यक्रम करने की योजना बनाई है। आरएसएस से संरक्षण प्राप्त मुस्लिम राष्ट्रीय मंच रुड़की के नजदीक पीरन कलियार में पांच और छह मई को एक कार्यक्रम करेगा। इस कार्यक्रम में मुस्लिम परिवारों को गाय के फायदे बताकर उसे गोद लेने की अपील की जाएगी। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच मुसलमानों से मदरसों में “भारतीय तहजीब” को सिखाए जाने की भी अपील करेगा। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार दो दिन के इस कार्यक्रम में अयोध्या में बाबरी मस्जिद की विवाद जमीन राम मंदिर बनाने और तीन तलाक पर भी चर्चा होगी। रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के इस कार्यक्रम में करीब 300 मौलवी आ सकते हैं।
पीरन कलियार 13वीं सदी के चिश्तिया सूफी अलाउद्दीन अली अहमद साबिर कलयारी की की दरगाह है। इसे सरकार साबिर पाक भी कहते हैं। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक और आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार विवादित विषयों पर मुस्लिम समुदाय के बीच एकराय कायम करना चाहते हैं। कुमार के अनुसार इस बैठक का मकसद मुस्लिम समुदाय के अगुआ लोगों से मिलकर एक राय पर पहुंचना है। कुमार ने अखबार से कहा कि कुरान में भी गाय का मांस खाना मना है।
कुमार के अनुसार अरब के लोगों ने बहुत पहले बीफ पर पाबंदी लगा दी थी। बीफ खाने की रवायत मुसलमानों में हाल-फिलहाल की है। कुमार के अनुसार देश में करीब 150 मुस्लिम परिवार गौशालाएं चलाते हैं। कुमार के अनुसार कुरान की शिक्षा देने वाले मदरसों को छात्रों को “भारतीय तहजीब” भी सिखानी चाहिए।
पिछले कुछ सालों में बीफ या गाय की तस्करी को लेकर विभिन्न प्रदेशों में कई हिंसक घटनाएं हो चुकी हैं। यूपी के नोयडा में मोहम्मद अखलाक नामक व्यक्ति को बीफ रखने के संदेह में भीड़ ने पीटपीट कर मार डालने की घटना अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रही थी। अभी हाल ही में राजस्थान में पहलू खान नामक एक व्यक्ति को गाय तस्कीर के संदेह में कुछ लोगों ने इतना मारा कि उनकी अस्पताल में मौत हो गयी। वहीं तीन तलाक और राम मंदिर के मुद्दे पर भी देश की राजनीति गरमायी हुई है। दोनों ही मुद्दे फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं लेकिन विभिन्न संगठन इनको लेकर विवादित बयानबाजियां करते रहे हैं।

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