जबलपुर, नगर निगम के बजट सत्र की बैठक के दूसरे दिन भी सदन में गहमागहमी का माहौल रहा। विपक्ष ने सत्ता पक्ष को चारों तरफ से घेरने की कोशिश की, जिससे कई मर्तबा टकराव की स्थिति बनी। पूर्व नेता प्रतिपक्ष विनय सक्सेना सहित अन्य कांग्रेसी पार्षदों ने फाईल ट्रेकिंग सिस्टम पर सवालिया निशान लगाते हुए सत्ता पक्ष को घेरा, लेकिन सदन में निगमायुक्त के मौजूद नहीं होने पर इस पर जवाब नहीं मिल पाया। इससे हंगामे की स्थिति बनी। कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद केवल कृष्ण आहूजा ने रमनगरा जलसंयंत्र की मैन राईजनिंग लाईन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण यहां की पाईपलाईन चाहे जब टूट जाती है और आम जनता को जलसंकट का सामना करना पड़ता है। इस पर पक्ष विपक्ष के बीच जमकर तू-तू, मै-मै हुई और आरोप प्रत्यारोप का दौर चला।
निगम अध्यक्ष सुमित्रा बालमीकि ने विपक्षी सदस्यों के सवाल के जवाब नहीं मिलने पर बैठक में आयुक्त के लगातार अनुपस्थित रहने पर नाराजगी भी जताई। बैठक में केवल आहूजा ने नर्मदा शुद्धिकरण का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्वारीघाट सहित अन्य स्थानों में नर्मदा में गंदे नाले मिल रहे हैं, जिससे मां नर्मदा का पानी प्रदूषित हो रहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री नर्मदा संरक्षण के लिए करोड़ों रूपया सरकारी खर्च कर रहे हैं और नगर निगम नर्मदा में गंदे नालों का पानी भी नहीं रोक पा रहा है। एमआईसी सदस्य नवीन रिछारिया ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि शीघ्र ही ग्वारीघाट में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है। नगर निगम बजट बैठक अन्य मुद्दों पर चर्चा के कारण लगातार मुद्दों से भटकती जा रही है। विपक्ष को चाहिए कि वह नगर निगम द्वारा प्रस्तावित टैक्स वृद्धि पर अपनी आपत्तियां दर्ज कराए। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। पार्षद भरत घनघोरिया ने अस्वस्थता के कारण सुझाव लिखित में दिए तो अन्य पार्षद अपने-अपने वार्ड की समस्याएं रख रहे हैं। जबकि बजट के मुद्दों पर कोई नहीं बोल रहा है। सुरक्षा कर्मी भर्ती घोटाला और डोर टू डोर कचरा कलेक्शन घोटाले पर भी सवाल उठाए गए।
निर्दलीय पार्षदों ने किया वॉक आऊट…..
शिवसेना के वरिष्ठ पार्षद ठाणेश्वर महावर ने सदन में तीन बार ध्यानाकर्षण कराया कि 31 मार्च के बाद कर न बढ़ाने के नियम पर विधि अधिकारी से राय ली जाए ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके और सदन का समय बचाया जा सके। लेकिन उनकी बात को अनसुनी कर दिया गया। जिससे श्री महावर सहित चार निर्दलीय पार्षदों ने उनका समर्थन करते हुए सदन से वाकआऊट कर दिया। इस पर विनय सक्सेना ने भी विधि और नियम का हवाला देकर 31 मार्च के बाद होने वाली कर वृद्धि अगले वित्तीय वर्ष से लागू हो सकती है, इसका उदाहरण दिया और हाईकोर्ट से आदेश की दो प्रतियां भी निगमाध्यक्ष और महापौर को दीं।