भोपाल, मध्य प्रदेश में अब वित्तीय वर्ष 1 जनवरी से शुरू होगा और 31 दिसंबर को खत्म होगा। ऐसा करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है। गौरतलब है कि दो दिन पहले ही नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने यह सुझाव दिया था। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि मध्य प्रदेश में वित्तीय वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसंबर का होगा। केंद्र की मोदी सरकार भी देशभर में वित्तीय वर्ष जनवरी से दिसंबर तक करने पर विचार कर रही है। अभी यह वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 30 मार्च तक चलता है। इसी को लेकर केंद्र सरकार सभी रायों से चर्चा कर रही है। सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया को कैबिनेट के फैसलों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष दिसंबर में समाप्त होगा और बजट सत्र दिसंबर-जनवरी में होगा। राय का अगला बजट सेशन दिसंबर-जनवरी में होगा। मिश्रा ने बताया कि विभागों के सभी कार्यों की तीन महीने में समीक्षा की जाएगी। प्रत्येक मंगलवार को विभागों से संबधित विषय देखे जाएंगे। मिश्रा ने जानकारी दी कि सीएम ने आदेश जारी किया है कि सरकार के लेटर हेड, बैनर और विज्ञापनों में पंडित दीनदयाल के फोटो का लोगो लगाया जाएगा।
कैबिनेट में टिफिन लेकर आए मंत्री
हर मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक इस बार नए रंगों में रंगी नजर आई। बैठक को टिफिन कैबिनेट नाम दिया गया, जिसमें शामिल सभी मंत्री अपने साथ टिफिन लेकर मंत्रालय पहुंचे थे। सोमवार को सभी मंत्रियों को मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से सूचित किया गया था कि उन्हें अपने घर से खाना बनाकर लाना होगा। सीएम सचिवालय से मिले मैसेज के बाद मंगलवार को लंच लेकर पहुंचे कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि, यह अच्छी पहल है। बैठक में शामिल सभी मंत्री जब एक साथ खाना खाने बैठेंगे तो संवाद भी बढ़ेगा। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह ने कहा कि, बैठक के समय लंच लेकर जाता तो खाना ठंडा हो जाता इसलिए मैंने लंच 2 बजे मंगवाया था।
अंग्रेजों के जमाने को बदल दिया
अंग्रेजों ने 1867 में ब्रिटिश सरकार से तालमेल के लिए अप्रैल-मार्च का सिस्टम लागू किया था। इससे पहले 1 मई से 30 अप्रैल का फाइनेंशियल ईयर चलता था।
अब इसे मोदी सरकार बदलना चाहती है। मध्य प्रदेश का नया सिस्टम 150 साल बाद लागू किया गया है।
किस देश के क्या हाल
156 देशों में जनवरी से वित्त वर्ष शुरू होता है। हालांकि इसके लिए केंद्र सरकार को बजट भी फरवरी के बदले नवंबर में पेश करना होगा।
सरकार को क्या फायदा
आईएमएफ, विश्व बैंक जैसे संगठनों और कई देशों के वित्त वर्ष से तालमेल में असानी होगी। कैलेंडर वर्ष और वित्त वर्ष में फर्क से विभागीय स्तर पर भी दोहराव की स्थिति बनी रहती है। दुनिया की 500 फॉर्चून कंपनियों में से 70प्रतिशत ने कैलेंडर वर्ष को ही वित्तीय वर्ष बना रखा है।