बैतूल, डॉक्टर को वैसे ही भगवान् का रूप नहीं कहा जाता ।इसकी बानगी बैतूल में देखने को मिली है। यहाँ एक हादसे में एक आदिवासी युवक के सीने से बाहर निकल आये दिल और फेफड़े को बैतूल जिला अस्पताल के तीन डॉक्टरों ने ढाई घंटे की मशक्कत के बाद जहां का तहां बैठा दिया। किसी बड़े मल्टीसिटी और मेडिकल हॉस्पिटल में होने वाले इस बड़े ऑपरेशन को सर्जिकल स्पेशलिस्ट डॉक्टर रमेश बड़वे, ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ राहुल श्रीवास्तव और डॉक्टर सुरेंद्र कुशवाह की टीम ने बड़े हौसले और कामयाबी से अंजाम दिया। दरअसल गांव चोरपांढरा का प्रेमसिंह अपने दस साल के बेटे के साथ बाजार कर गांव लौट रहा था।रास्ते में वह एक ट्रैक्टर ट्राली से टकरा गया।जिससे उसका बायाँ सीना ऊपर से लेकर नीचे तक कट गया। इससे जहां उसका दिल बाहर आ गया वही फेफड़ा भी सीने से बाहर निकल गया। जैसे ही इस हादसे की खबर मिली तीनो डाक्टरों ने अस्पताल में जरुरी इंतेजाम किया और घायल का इंतजार करने लगे।जैसे ही प्रेमलाल को लाया गया उसका खून बह जाने से बीपी लो हो गया था और पल्स लगभग ख़त्म हो चुकी थी। ऐसे में डॉक्टरों ने हिम्मत दिखाई और बगैर एनेस्थेटिक एनिस्थेसिया दिए प्रेमलाल का न केवल दिल और फेफड़े सीने के अंदर बैठा दिए बल्कि उसकी चूरा हो चुकी पसलियों को भी रिपेयर किया। जोखिम उठाकर लगभग 4 से 5 लाख रूपये के खर्च वाला आप्रेशन छोटी से ऑपरेशन थियेटर में कर डाला।मरीज अब होशं में है वही उसने खाना भी शुरू कर दिया है।प्रेम की पत्नी कुंती ने ईएमएस को बताया कि उसकी आस ही घर वाले छोड़ चुके थे ।