भोपाल,‘उत्तराधिकार’ श्रृंखला के अंतर्गत रविवार को चित्रांगना आगले इन्दौर द्वारा ‘पखावज वादन’ एवं सुश्री केया चन्दा एवं साथी कोलकाता द्वारा ‘कथक समूह नृत्य’ प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत आगले घराने की पखावज वादिका चित्रांगना आगले द्वारा चैताल में निबद्ध 27 ध वाली परन के साथ हुई। ताल चैताल एवं दु्रत तीन ताल में निबद्ध इस विधा में उन्होंने परन, चक्रदार, रेला, आड़, उपज, कमाली चक्करदार और फरमाइशी चक्करदार की विलक्षण प्रस्तुति दी। हारमोनियम पर उन्हें दीपक खसरावल ने संगत दी।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में लखनऊ और जयपुर घराने की विख्यात कथक नृत्यगुरु एवं कोरियोग्राफर केया चन्दा ने नृत्य उमंग पर आधारित गणेश वन्दना को ताल धमार में प्रस्तुत किया। चैदह मात्राओं में द्रुत एवं जटिल पदविन्यास के साथ उन्होंने ठाठ, अमद, तोरा, परन, टत्कर, टुकड़ा, एवं गतिनिका को प्रभावी तरीके से पेश किया। तत्पश्चात उत्कृष्ट सप्तसुर मेलोडी सरगम बंदिश पर युगल नृत्य के साथ ही पारंपरिक ब्रास प्लेट पर सवाल-जबाव सहित 16 मात्राओं अद्भुत प्रस्तुति से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। कार्यक्रम के अंत में कृष्ण लीला पर आधारित होरी ओ बहार को राग बसन्त और राग बहार में उत्कृष्टता के साथ प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। केया के कोरियोग्राफी में तन्मयी चक्रवर्ती, तुहिना आचार्य, सुरंगमा, ऐरा डे और प्रदीप बनर्जी ने शानदार प्रस्तुति दी।