नई दिल्ली, सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक विशेष टीम मनी लॉन्डि्रंग के आरोपी विजय माल्या को प्रत्यर्पित कराने लंदन जा रही है। ईडी के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि यूनाइटेड किंगडम (यूके) से माल्या को भारत लाने में कम से कम 6 से 12 महीने लगेंगे। जांच एजेंसियों और केंद्र सरकार के लिए माल्या को वापस लाने की प्रक्रिया आसान नहीं होगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि इसके लिए स्थानीय अदालत में कम से कम एक दर्जन से अधिक सुनवाई होगी, साथ ही यूके में उच्च न्यायालयों में जाने का एक विकल्प भी होगा।
एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि हम माल्या की बेल पर रिहाई से निराश नहीं हैं। हम इसे एक कदम आगे देख रहे हैं, लेकिन हां, अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। सीबीआई के प्रवक्ता आर के गौरव ने बताया कि अभी यह तय नहीं किया गया है कि हमें लंदन जाना चाहिए या भारत से चल रही प्रत्यर्पण प्रक्रिया का हिस्सा होना चाहिए। लेकिन हां, ये जरूर है कि प्रत्यर्पण प्रक्रिया हमारी तरफ से शुरू हो गई है। सूत्रों का कहना है कि सीबीआई और ईडी के वरिष्ठ अधिकारी माल्या के खिलाफ सभी आवश्यक मामलों के विवरण इकट्ठा करने के लिए संपर्क में हैं, ताकि उसे यूके के कानूनी अधिकारियों के समक्ष मजबूती के साथ पेश किया जा सके। अगल माल्या मिशन के लिए कोई विशेष टीम लंदन भेजी जाती है तो वह सुनवाई की तारीख से काफी पहले जाएगी, कम से कम चार से पांच दिन पहले।
गौरतलब है कि माल्या 17 मई को प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई में भाग लेंगे। एक अधिकारी के मुताबिक स्पेशल टीम में सीबीआई और ईडी दोनों विभागों के अधिकारियों के अलावा केन्द्र सरकार का भी कोई अधिकारी जा सकता है। टीम का नेतृत्व सीबीआई के अधिकारी करेंगे न कि प्रवर्तन निदेशालय के। क्योंकि माल्या को सीबीआई के अनुरोध पर गिरफ्तार किया गया था न कि ईडी के एमएलएटी के तहत। स्पेशल टीम में ईडी की ओर से सिर्फ दो या तीन सदस्य ही होंगे जो मुंबई और दिल्ली जोनल कार्यालय से होंगे। टीम में खासकर वही लोग होंगे जो माल्या के मनी लांडरिंग केस को बखूबी समझते हों।