भोपाल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हिन्दी के प्रति कुंठित मानसिकता को बदलने की जरूरत बताई है। उन्होंने आव्हान किया है कि अंग्रेजी का ज्ञान श्रेष्ठता का प्रतीक है, इस गुलाम मानसिकता को समाप्त किया जाये। हिन्दी में काम करने पर गर्व की अनुभूति हो, ऐसा वातावरण बनायें। चौहान अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता कुलपति श्री मोहनलाल छीपा ने की। दीक्षांत उदबोधक उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया थे। इस अवसर पर सारस्वत अतिथि विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरण शर्मा, स्वामी गोविंद देव गिरी भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि निज भाषा सब उन्नतियों का मूल है। हिन्दी के उदभव विद्वान के नाम पर देश का प्रथम हिन्दी विश्वविद्यालय प्रदेश की धरती पर है। यह गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की सभी जरूरत को पूरा किया जायेगा। कठिनाइयों को दूर करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रहेगी। हिन्दी विश्वविद्यालय से चिकित्सा, अभियांत्रिकी आदि विश्वविद्यालयों को सम्बद्ध करवाने के प्रयास भी किये जायेंगे। उन्होंने देश-प्रदेश के विद्वानों से हिन्दी विश्वविद्यालय को सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय की श्रेणी में खड़ा करने के लिए मार्गदर्शन और सहयोग का अनुरोध किया।विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के लिए कुलपति और उनकी टीम को बधाई दी।
दीक्षांत समारोह में स्वामी गोविंद देव गिरी को भारतीय ज्ञान परम्परा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये मानद उपाधि प्रदान की गई। वर्ष 2015-16 की परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक प्राप्तकर्ता छात्रा स्वेच्छा मिश्रा को अटल बिहारी वाजपेयी स्वर्ण पदक से पुरस्कृत किया गया। विश्वविद्यालय की स्मारिका, पत्रिका और भारतीय ब्रह्माण्ड विज्ञान, भारतीय ज्ञान परम्परा पुस्तकों और वृत्त चित्र की सी.डी. का विमोचन किया गया।