नई दिल्ली, कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस सी. एस. करनन के तेवर बरकरार है। वह शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में के सामने पेश हुए और प्रशासनिक तथा न्यायिक कार्यों की बहाली की अपील की। अदालत से उनकी यह मांग खारिज हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में चार हफ्ते में जवाब मांगा है। करनन अभी भी भिडने के मूुड में है,एक समाचार एजेंसी के हवाले से मीडिया रिपोर्टस में कहा गया है कि उनका कहना है कि वह संविधान पीठ के सात जजों के खिलाफ आदेश पारित करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह का अधिकार है। उसके थोडे ही देर बाद उन्होंने सात जजों के खिलाफ आदेश जारी कर दिया।
क्या कहा
करनन ने कोर्ट से कहा कि न्यायिक शक्तियां बहाल हों,नहीं ता वह सामान्य नहीं हो पाएंगे। उन्होंने अदालत से का कि वह संवैधानिक पद पर हैं,जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि वह अगली सुनवाई के दिन सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं होंगे। इस पर चीफ जस्टिस जे एस खेहर के नेतृत्व में गठित सात जजों वाली बेंच ने कहा कि अगर आप मानते हैं कि जवाब देने के लिए ‘मानसिक तौर पर चुस्त-दुरस्त नहीं हैं’ तो मेडिकल रिकॉर्ड पेश करें। इस पर करनन का कहना था कि मुझे कोई मेडिकल सर्टिफिकेट दिखाने की जरूरत नहीं है।
इस पर पीठ ने कहा कि जस्टिस करनन की दिमागी हालत साफ नहीं हो रही। वह नहीं समझ पा रहे कि वह असल में क्या कर रहे हैं? हालांकि, अटॉर्नी जनरल ने कहा कि करनन को पता है कि वह क्या कर रहे हैं।
दरअसल,करनन ने सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के 20 जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उन्होंने पीएम को भी एक शिकायत भेजी थी। अब उन्होंने CBI को इस शिकायत की जांच करने का आदेश दिया है।