भोपाल,ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने विधानसभा में कहा है कि मध्यप्रदेश में पिछले 12 वर्ष के दौरान बिजली की उपलब्धता में तीन गुना वृद्धि दर्ज हुई है। वर्ष 2004 में विद्युत उपलब्ध क्षमता 5173 मेगावॉट थी,जो अब बढक़र 17 हजार 515 मेगावॉट हो गयी है। जैन ऊर्जा तथा नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग की अनुदान माँगों पर हुई चर्चा का उत्तर दे रहे थे।
उन्होंने सदन को बताया कि पिछले 12 वर्ष में पारेषण एवं वितरण प्रणाली में भी अभूतपूर्व सुधार आया है। अति उच्च-दाब उप-केन्द्रों की संख्या में 94 प्रतिशत तो वहीं अति उच्च-दाब लाइनों में 76 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बिजली की पर्याप्त उपलब्धता के कारण प्रदेश के गैर कृषि उपभोक्ताओं को 24 घंटे और कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे गुणवत्तापूर्ण बिजली सप्लाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 में 33 के.व्ही. उप-केन्द्रों की संख्या मात्र 1802 थी, जो अब 86 प्रतिशत बढक़र 3344 हो गयी है। वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या 12 साल पहले एक लाख 68 हजार थी, जो 219 प्रतिशत बढक़र 5 लाख 35 हजार हो गयी। जैन ने मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना की जानकारी देते हुए बताया कि अगले वित्तीय वर्ष में लगभग एक लाख कनेक्शन देने की योजना है। अगले साल योजना पर 851 करोड़ का बजट उपलब्ध करवाया गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में नये औद्योगिक विद्युत कनेक्शन के लिये आवश्यक दस्तावेज 14 से घटाकर 2 किये गये हैं। ग्रामीण विद्युतीकरण,विभक्तिकरण के लिये चिन्हित नये फीडर और ग्रामीण क्षेत्र में अधोसंरचना सुदृढ़ीकरण एवं मीटर स्थापित करने के कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत प्रारंभ होंगे।
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा
जैन ने बताया कि भारत सरकार द्वारा सोलर रूफ टॉप परियोजनाओं के लिये 2200 मेगावॉट का लक्ष्य वर्ष 2022 तक पूरा करने का है। इसी परिप्रेक्ष्य पहले चरण में 100 मेगावॉट क्षमता के कार्य अगले वर्ष किये जायेंगे। प्रदेश के 38 जिला कलेक्टर कार्यालय, 9 कमिश्नर कार्यालय, 21 अदालत, बीएसएनएल के 33 टेलीफोन एक्सचेंज सहित तहसील एवं जनपद भवनों में रूफटॉप सोलर सिस्टम स्थापित किये जा रहे हैं। सरकार द्वारा प्रारंभ की गयी मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना की नीति बनायी गयी है। जैन के उत्तर के बाद सदन ने उनके विभागों से संबंधित 16 हजार 392 करोड़ 36 लाख 77 हजार रुपये की अनुदान माँगों को पारित कर दिया।