लखनऊ,परिवार को शर्मसार कर मौत को गले लगाने वाले आतंकी सैफुल्लाह के पिता ने बेटे की मृत देह को लेने से इनकार कर दिया है। पिता बेटे की हरकत शर्मसार महसूस कर रहे हैं,उन्हें अफसोस है कि उनके बेटे एैसा कृत्य क्यों किया। वह उप्र-मप्र को दहला देने के अभियान पर काम कर रहा था।
उसके आतंकी ग्रुप क निशान पर लखनऊ का इमामबाड़ा था। जबकि मध्यप्रदेश से शुरू होकर अन्य प्रान्तों को जा रही रेलगाडियों में धमाका कर वह देश भर में दहशत का माहौर खड़ा कर देना चाहता था। उसके ये मंसूबे पूरे होते कि उसके पहले ही जांच एजेंसिंयों को उसक खेल का अंदाजा मिल गया,यूपी एटीएस ने अंतिम समय उसे जिंदा पकडऩे की भरसक कोशिश की लेकिन उसने जान देने की ठान रखी थी। सैफुल्ला की भाई खालिद से मुठभेड़ के दौरान एटीएस ने आखिरी बार फ़ोन पर बात करा के सरेंडर की पूरी काशिश की पर वह इसके लिए तैयार नहीं था,अंतत: वहीं हुआ जो वह चाहता था। उसके जीवित बच जाने से आतंकियों के मॉड्यूल तक आसानी से पहुंचा जा सकता था जिसके लिए मिर्ची बम की योजना भी फ्लाप साबित हुई।
क्या पता था परिवार में
सैफुल्ला के परिवार का कहना ह कि वह सऊदी अरब का वीजा लेने खातिर मुम्बई गया था।जबकि पिछले ढाई महीने से परिवार की उससे कोई बात नहीं हुई थी। बी कॉम करने के बाद से वह अकाउंटेंट का काम कर रहा था। उसके पिता कानपुर के पास जाजमऊ की मनोहर नगर बस्ती में रहते हैं, उनके तीन बच्चे हैं. दो लडक़े और एक लडकी सैपुल्लह बीच का था।
मीडिया रिपोर्टस में उसके पिता के हवाले से कहा गया है कि उनका मानना है कि उसका शव लेना देशहित में नहीं है। उन्होंने कहा मैं देशद्रोही का शव नहीं ले सकता। उन्होंने बताया कि दो ढाई महीने पहले उसके काम न करने को लेकर उन्होंने उसे मारा था,जिसके बाद पिछले सोमवार उसने घर का बताया कि वह सऊदी अरब जा रहा है.
इस बीच करीब 12 घंटे की मुठभेड़ के बाद मंगलवार रात तीन बजे मारे गाए आतंकी से पुलिस का एक डायरी मिली है, जिसमें उसने आम दिनों और रोजे के दौरान की सारी दिनचर्या नोट कर रखी थी,वह नौजवानों को गुमराह करने कई तरह-तरह के रियाज करता था। उसने रोज सबेरे उठने से लेकर सोने तक कार्यक्रम पहल से बना रखा था। एटीएस को जो डायरी मिली हे उसके दो पेज इसी की जानकारी दर्ज है।